
'परमात्मा से साक्षात्कार करना चाहते हैं तो जीवन में अपनाएं ये पांच अनुशासन'
झांसी। जैन साध्वी आर्यिका वर्धस्व नंदिनी माताजी यहां दिगंबर जैन पंचायती बड़ा मंदिर में आयोजित धर्मसभा में जीवन में अनुशासन का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि अपने मन को अनुशासित करने के लिए मन को प्रभावित करने वाले विषयों पर अनुशासन करना होगा। इसमें भोजन, इंद्रिय, व्यवहार-लोकाचार, श्वांस और भाषा जैसे पांच अनुशासन जरूरी हैं। अगर परमात्मा से साक्षात्कार करना चाहते हैं, तो ये पांचों अनुशासन अपनाने होंगे।
स्वच्छंदी जीवन है पतन का कारण
जैन साध्वी ने कहा कि जैसे आसमान में उड़ती पतंग डोरी से बंधी रहे तो पतन को प्राप्त नहीं होती, वैसे ही हमारा जीवन अनुशासन की डोरी में बंधा रहे तो आत्मा पतन को प्राप्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि चित्त की वृत्तियों को बदले बिना बहिरात्मा अनुआत्मा नहीं होती और अनुआत्मा वृत्ति बदलने से परमात्मा हो जाती है। अतः अपनी मर्यादा में रहें, मर्यादा तोड़ोगे तो जीवन स्वच्छंदी हो जाएगा और स्वच्छंदी जीवन पतन का कारण है।
ये बताए अनुशासन के तरीके
जैन साध्वी ने मन को अनुशासित करने के लिए कहा कि इसको प्रभावित करने वाले विषयों पर अनुशासन करना होगा। पहला अनुशासन भोजन का है। हम जिन भावनाओं का स्मरण करते हुए और जैसा भोजन करते हैं उसका वैसा ही प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। अतः शान्त चित्त से आसन लगाकर सात्विक भोजन ग्रहण करें। दूसरा अनुशासन इन्द्रिय अनुशासन। स्पर्श, आंख, कान, नाक, जिव्हा की मनमानी रोकें। उन्हें सत्कर्मों में लगाएं। तीसरा अनुशासन व्यवहार या लोकाचार है। हित, प्रिय बोलें और अपना व्यवहार जनहितकारी बनाएं। चौथा अनुशासन श्वांस पर होना चाहिए और पांचवां अनुशासन भाषा का है। बोलने से पहले विचार करें ताकि भाषा कल्याणकारी हो। इतना कर सकेंगे तो मन अनुशासित होगा और आत्मा भी अनुशासित होगी तो शास्ता अर्थात् परमात्मा का साक्षात्कार भी होगा। उन्होंने कहा कि मन का अनुशासन हमारे जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान कारक है। इससे समाज देश और समूचे विश्व में सुखशांति का संचार हो सकता है। जैन भूगोल के शिविर में उन्होंने आज मध्य लोक, जम्बूद्वीप, आर्यखण्ड, द्वीप, समुद्र नदियों के बारे में रेखाचित्र के आधार पर अध्ययन कराया।
ये लोग रहे उपस्थित
प्रारंभ में दीप प्रज्ज्वलन डा. जिनेन्द्र जैन ने किया। मंगलाचरण वरूण जैन ने किया। संचालन पंचायत महामंत्री प्रवीण कुमार जैन ने किया। इस अवसर पर डा. वी. के. मोदी, श्रीमती सरोज जैन, श्रीमती राखी जैन, श्रीमती इन्द्रा जैन, ममता जैन, रजनी जैन, डा. के. सी. जैन, भामाशाह जैन सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। इस अवसर पर पुरस्कार वितरण सिंघई जवाहर लाल जैन ने किया। बाद में यश सिंघई ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
Published on:
16 Mar 2018 10:17 pm
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