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शरीर में ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क, ये हैं गंभीर बीमारी के संकेत

लोगों को जगाने का काम करेगी सपना, 13 फरवरी तक चलेगा अभियान

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leprosy awareness program in jhansi

शरीर में ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क, ये हैं गंभीर बीमारी के संकेत

झांसी। शरीर में होने वाले परिवर्तन हमारे लिए अलार्म का काम करते हैं। ये बदलाव शरीर के अंदर पनपने वाली बीमारियों की ओर इशारा करते हैं। ऐसे ही कुछ लक्षण हैं जो कुष्ठ रोग का संकेत देते हैं। इन्हीं के प्रति समाज में जागरूकता पैदा करने और कुष्ठ रोग संबंधी भ्रांतियों को खत्म करने के लिए महात्मा गांधी की पुण्यतिथि और कुष्ठ रोग मुक्त दिवस 30 जनवरी से स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू हो रहा है। ये अभियान 13 फ़रवरी तक चलेगा। इसके लिए हर गांव में एक लड़की को चुना गया है, जिसका काल्पनिक नाम सपना दिया गया है। यही सपना अपने गांव में लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जारी किये गये जागरूकता संदेश को पढ़कर सुनाएगी। इससे लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकेंगे।
इन लक्षणों को गंभीरता से लें
सामान्य त्वचा की तुलना में त्वचा पर थोड़े लाल, गहरे या हल्के स्पॉट/धब्बे हों।
- यह स्पॉट/धब्बे सुन्न हो सकते हैं तथा यहां तक कि यह त्वचा के प्रभावित हिस्से पर होने वाले बालों के झड़ने की समस्या को भी पैदा कर सकते है।
- हाथ, अंगुली या पैर की अंगुली का सुन्न होना।
- आंखों की पलकों के झपकने में कमी।
जांच और दवाई है मुफ्त
जिला कुष्ठ अधिकारी डा. सुधीर कुमार कुलश्रेष्ठ ने बताया कि संक्रमण हो जाने के बाद कुष्ठ रोग 2 वर्ष से लेकर 20 वर्ष की लंबी अवधि वाला एक जीवाणु रोग है। यह सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। यदि उपयुक्त देखभाल न की जाये तो रोगी कुल मिलाकर अपने हाथों, पैरों और आंखों की संवेदना खो देता है। भारत में स्वतंत्रता के समय कुष्ठ रोग का कोई इलाज नहीं था, लेकिन अब है। अब ज्यादातर स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुष्ठ रोग की जांच व दवाई मुफ़्त हैं।

जिले में ये है कुष्ठ रोग की स्थिति
कुष्ठ रोग विभाग के नॉन मेडिकल असिस्टेंस विनोद कुमार मौर्या के अनुसार अप्रैल 2017 से दिसंबर 2017 तक जिले में 104 नये कुष्ठ रोगी पाए गये है। इसके अलावा 2016-17 के सत्र के बचे हुए 117 मरीजों को मिलाकर कुल 221 कुष्ठ रोगी थे। इनमें से 119 सही हो गये हैं व 101 का अभी भी इलाज चल रहा है।

ये हैं भ्रांतियां
कुष्ठ रोग के साथ अनेक गलत धारणाएं जुड़ी हुई हैं। कुष्ठ रोगी को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है।
- लोग इसे पूर्व जन्म के बुरे कर्मों का फल मानते हैं।
- कुष्ठ रोग के विषय में यह भी गलत धारणा फैली हुई है कि यह रोग वंशानुगत होता है और छूत से फैलता है, जबकि कुष्ठ रोग सभी संचारी रोग जैसे क्षय रोग आदि में से सबसे कम संक्रमणीय है।
- लोगों का मानना है कि यह खानपान की गलत आदतों जैसे सूखी मछली खाने से एवं अशुद्ध रक्त के कारण भी हो सकता है।
ये है वास्तविकता
किसी भी प्रकार का सफेद दाग कुष्ठ रोग की निशानी नहीं है। कुष्ठ दो प्रकार का होता है। एक हाथ-पैरों का घाव होने के बाद गलना और दूसरा शरीर पर भूरे रंग के सुन्न दाग होना। यह रोग माइक्रो बैक्टिरियम लेप्री बैक्टीरिया के संक्रमण से होता है, लेकिन यह बहुत ही कमजोर वायरस है और मल्टी ड्रग थैरेपी की दो-चार खुराकों से ही इस पर काबू पाया जा सकता है। अगर रोग काफी पुराना भी हो तो भी छह महीने के उपचार के बाद रोग पर काबू पाया जा सकता है।