
झांसी की हवा हो रही दूषित।
दिल्ली का दम घोंट रहे प्रदूषण ने झांसी महानगर की आबोहवा को भी प्रभावित कर दिया है। यहां के एयर क्वॉलिटि इण्डेक्स ने खतरे की घण्टी बजा दी है। पिछले 3 दिन से एयर क्वॉलिटि इण्डेक्स (एक्यूआइ) बढ़ता जा रहा है, जिससे हवा में प्रदूषण का जहर घुल गया है। रविवार को झांसी का एक्यूआइ बढ़कर 214 पर पहुंच गया, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। जानकारों की मानें तो सर्दी बढ़ने पर वायु प्रदूषण अभी सांसों को और भारी कर सकता है।
बढ़ रही वाहनों की संख्या
महानगर में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो खेतों में सुलग रही पराली हवा की शुद्धता को प्रभावित कर रही है। इससे एयर क्वॉलिटि इण्डैक्स लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है। पिछले 3 दिन से हालात और खतरनाक हो गए हैं। नवम्बर माह से 200 क पार चल रहा एक्यूआइ 3 नवम्बर को 205 पर पहुंच गया था, जबकि 4 नवम्बर को 209 के बाद आज यानी 5 नवम्बर को एक्यूआइ 214 मापा गया, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। दरअसल, वायु प्रदूषण का आंकलन एयर क्वॉलिटि इण्डेक्स से किया जाता है। इसके अनुसार एक्यूआइ की मात्रा 50 से कम होनी चाहिए, जो हवा में अमृत के समान होता है, लेकिन इससे बढ़ने पर हवा जहरीली होती जाती है। एक्यूआइ जब 200 से 300 के बीच होता है तो इसे सेहत के लिए बहुत अधिक खतरनाक माना जाता है।
यह है पीएम 2.5 और पीएम 10 का मतलब
जिला प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के सहायक प्रदूषण वैज्ञानिक अमर कुमार मिश्रा ने बताया कि 'पीएम' का मतलब पार्टिकुलेट मैटर होता है, जो हवा के अन्दर मौजूद सूक्ष्म कणों को मापते हैं और पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को दर्शाते हैं। यानी पार्टिकुलेट मैटर का आंकड़ा जितना कम होगा, हवा में मौजूद कण उतने ही छोटे होते हैं।
सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचते हैं धूल के कण
मेडिकल कॉलिज के चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. मधुर्मय शास्त्री ने बताया कि पीएम 2.5 का स्तर धुएं से अधिक बढ़ता है। अगर हम कुछ चीजें वातावरण में जलाते हैं तो यही धुंआ पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाता है। वहीं, पीएम 10 का मतलब होता है कि हवा में मौजूद कण 10 माइक्रो मीटर से भी छोटे हैं और जब पीएम 10, पीएम 2.5 का स्तर 50 से ऊपर पहुंचता है तो यह खराब श्रेणी को दर्शाता है। हवा में धूल, मिट्टी या धुंध के कण अधिक मात्रा में मौजूद होने पर आसानी से सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिससे स्वभाविक तौर पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है।
इन बीमारिया का होता है खतरा
पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों को मापने के लिए किया जाता है। वायु में पीएम 2.5 और 10 का स्तर बढ़ने के बाद सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन आदि की समस्या शुरू हो जाती है। सबसे अधिक समस्या उन लोगों को आती है, जो पहले से सांस और अस्थमा के मरीज हैं। ऐसे में लगातार खराब वायु में सांस लेने से यह समस्या कुछ लोगों के लिए लंग्स कैंसर की समस्या भी बन जाती है।
यह है एयर क्वॉलिटि इण्डेक्स का मानक
10 से 50 : गुड (अच्छा ), 51 से 100: मॉडरेट (मध्यम), 101 से 150 : अनहेल्दी फॉर सेन्सटिव ग्रुप (सम्वेदनशील लोगों के लिए हानिकारक), 151 से 200 : अनहेल्दी (हानिकारक), 201 से 300 : वैरी अनहेल्दी (अति हानिकारक), 301 से 500 : हैजर्डस (खतरनाक) है।
Published on:
06 Nov 2023 07:50 am
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