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स्मार्ट सिटी योजना से बन रहे इस तालाब में गड़बड़ी, बिल में हुए 8 लाख की कटौती के आदेश

झांसी के प्राचीन तालाब लक्ष्मीताल का स्मार्ट सिटी योजना से सौंदर्यीकरण करवाया जा रहा है। इसमें लोहे का जाल मिला मानक के विपरीत, बिल से 8 लाख की कटौती के आदेश।

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Jhansi Lakshmi Pond

झांसी का लक्ष्मी तालाब - फोटो : सोशल मीडिया

यूपी के झांसी में स्मार्ट सिटी योजना से लक्ष्मी तालाब में कराए गए कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ गए हैं। मुख्य अभियन्ता ने इसकी जांच की तो लोहे का जाल मानक के विपरीत पाया गया। उन्होंने फाइल पर कमी को दर्ज करते हुए बिल से 8 लाख रुपए की कटौती करने के आदेश दिए हैं। इसी तरह इंक्यूबेशन सेंटर में ब्रिक की गुणवत्ता खराब मिली तो जीआईसी में कक्षा कक्ष निर्माण में प्लास्टर सही नहीं होता पाया गया।


जांच में मिली कमी

नगर आयुक्त सत्यप्रकाश ने स्मार्ट सिटी से होने वाले कार्यों की तकनीकी जांच की जिम्मेदारी मुख्य अभियन्ता एसके सिंह को सौंपी है। मुख्य अभियन्ता ने इसकी जांच शुरू की तो कमियां ही कमियां सामने आ गईं। लक्ष्मी तालाब की जांच में पाया गया कि यहां आरसीसी की ढलाई में सरिया लगाया गया, उसकी स्पेसिंग बढ़ाकर काफी सरिया बचा लिया गया। मुख्य अभियन्ता ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए 8 लाख रुपए की कटौती के आदेश दिए हैं। इसी तरह इंक्यूबेशन सेंटर के निर्माण में लगाई जा रही ब्रिक की गुणवत्ता भी गुणवत्ताविहीन पाई गई तो जीआइसी में चल रहे कक्षा कक्ष निर्माण में प्लास्टर की गुणवत्ता पर मुख्य - अभियन्ता ने सवाल उठाते हुए ब्रिक व प्लास्टर की जांच बीआइईटी से कराने के निर्देश दिए हैं।

कुछ तो गड़बड़ है

स्मार्ट सिटी व मुख्य अभियन्ता के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी चर्चाएं अब अंदर खाने से बाहर आने लगी है। बताया जा रहा है कि स्मार्ट सिटी योजना के कार्यों की फाइल अब जांच के लिए मुख्य अभियन्ता को नहीं भेजी जा रही है। इससे पहले मुख्य अभियन्ता ने जिस भी प्रोजेक्ट की जांच की, वहां कमियां निकालते हुए फाइल में दर्ज कर दिया। हालांकि स्मार्ट सिटी की कोई भी फाइल नगर आयुक्त के पास तभी भेजी जा सकेगी, जब मुख्य अभियन्ता द्वारा उसे आगे बढ़ाया गया होगा।

इन्होंने कहा

जानकारी देते हुए मुख्य अभियंता नगर निगम एसके सिंह बताते हैं कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत कराए गए कार्यों की नियमित जांच की जा रही है। लक्ष्मी तालाब में लोहे की स्पेसिंग में गड़बड़ी पाई गई थी, जिसके बाद 8 लाख रुपए की रिकवरी बिल से करने को लिखा गया है। इंक्यूबेशन सेंटर की ब्रिक व जीआईसी में प्लास्टर की जांच बीआइईटी से कराने को भी कहा गया है।