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उमा भारती ने दलित के घर खाने से किया था इंकार, अब यह बताई वजह

उमा भारती ने लिखा है कि मैं तो दलित वर्गों के लोगों को अपने घर में, अपने साथ डाइनिंग टेबल पर बिठाकर भोजन करती हूं।

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Uma Bharti quote- I do not eat food with dalits, call home and feed

Uma Bharti quote- I do not eat food with dalits, call home and feed

झांसी. केंद्रीय मंत्री और झांसी-ललितपुर सीट से सांसद उमा भारती ने मध्य प्रदेश के छतरपुर में आयोजित कार्यक्रम के बाद दलित के घर खाना खाने से इंकार करने के मामले में सफाई दी है। मंगलवार को छतरपुर में सामाजिक समरसता कार्यक्रम में हिस्सा लेने उमा भारती पहुंची थी। इसके बाद भोजन का कार्यक्रम था लेकिन उमा भारती ने उसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था। बाद में उन्हें सफाई दी और ट्विटर पर लिखा कि मुझे हरशू महाराज ने बताया कि अब कार्यक्रम के बाद में सामाजिक समरसता भोज भी है जिसकी जानकारी मुझे पहले थी ही नहीं। मुझे ढ़ाई बजे तक पपौरा, जिला टीकमगढ़, मध्यप्रदेश पहुंचना था जो कि यहां से 150 km दूर है तथा श्री विद्यासागर महाराज के दर्शन करने थे।

भोज में हिस्सा न लेने के लिए की थी क्षमा याचना

उमा भारती ने ट्वीट में आगे लिखा है कि इसलिए कार्यक्रम में क्षमा याचना की तथा भोज में भाग नहीं ले पाई। फिर एक अद्भुत बात मेरे सामने आई। मंच के पीछे खड़े पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि आप दलितों के साथ भोजन नहीं करना चाहती ? मैं दंग तो रह ही गई साथ ही यह रहस्य भी खुल गया कि ऐसी बात भी बनाई जा सकती है।

राजनीति में समरसता लाने की बताई जरूरत

ट्वीटर पर सफाई देते हुए उमा भारती ने आगे लिखा है कि मैं तो दलित वर्गों के लोगों को अपने घर में, अपने साथ डाइनिंग टेबल पर बिठाकर भोजन करती हूं तथा मेरे परिवार के सदस्य उन्हें भोजन परसते हैं। वो जमाना चला गया जब दलितों के घर में बैठकर भोजन करना सामाजिक समरसता का सूत्र था। अब तो राजनीति में जो दलितों और पिछड़ों के साथ भेदभाव होता है, उसमें सामाजिक समरसता लानी पड़ेगी। केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा है कि आर्थिक उत्थान, सामाजिक सम्मान तथा शासन एवं प्रशासन में बराबर की भागीदारी हो, यही सामाजिक समरसता का मूलमंत्र है।