
फोटो : इन्फोग्राफिक्स
झांसी में इन दिनों ताबड़तोड़ डकैती, चोरी और लूट की घटनाएं हो रहीं है। पिछले डेढ़ महीने में लगभग हर रात ऐसी घटना को अंजाम दिया जा रहा है। पुलिस बदमाशों के मास्टर माइंड तक पहुंचने में न कामयाब साबित हो रही है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि पुलिस के बड़े अफसरों और थानेदारों की लोकेशन को ट्रैक करने वाला गिरोह झांसी में एक्टिव है। पुलिस की हर गतिविधि की सूचना चोरों तक पहुंच रही है।सीपरी बाजार थाना क्षेत्र में बदमाशों ने फिर पुलिस को चुनौती दे डाली। एक मकान का ताला तोड़ कर लाखों की चोरी कर ले गए।
सीपरी बाजार में 4 लाख की चोरी
सीपरी बाजार के प्रमगंज मोहल्ला के रहने वाले अजय अपने घर में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। वे हर रोज दुकान बंद करके अपने भाई के घर सोने चले जाते है। कुछ बदमाश आए और रात में उनके घर का ताला सरिया से तोड़ दिया। 1.20 लाख रुपये नकद और 3 लाख रुपए की कीमत की ज्वेलरी चुरा ली। फिलहाल सीपरी एसएचओ ने मामला दर्ज कर बदमाशों की तलाश शुरू कर दी है।
कौन होते हैं लोकेशन ट्रैकर
लोकेशन ट्रैकरों को जन्म देने वाले खनन माफिया हैं। जब बुंदेलखंड में अवैध खनन का दौर था उस समय इनका इस्तेमाल किया जाता था। ये हेयर सैलून संचालक से लेकर एक दफ्तर के बाबू तक हुआ करते थे। खनन माफिया आरटीओ डिपार्टमेंट के अधिकारी, खनन अधिकारी, पुलिस अधिकारी और एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े अधिकारियों की लोकेशन ट्रैक करवाते थे। जिससे ओवरलोड डंपर निकाले जा सके और रॉयल्टी की चोरी हो सके।
ऐसे होती थी लोकेशन ट्रैक
खनन माफिया अपने गुर्गे हर उस अधिकारी के पीछे लगाते थे। जिससे उनको नुकसान हो सकता था। ये अधिकारियों के बंगले के आस पास हुआ करते थे। जब वे दफ्तर में जाते थे तो वहां की लोकेशन भी ट्रांसफर होती थी। उनको अधिकारियों की हर गतिविधि पता रहती थी। लोकेशन ट्रैकर के रूप में ये चाय, पान, नाई, मोची, सरकारी दफ्तरों के बाबुओं की हेल्प लेते थे। इनको लोकेशन बताने के बदले में हर रोज मोटी रकम दी जाती थी। इसका प्रमाण हाल ही में मिलता है। बीते चार महीने पहले जालौन डीएम और एसएसपी ने 24 लोकेशन खनन माफियाओं को जेल भेजा था।
क्या अब बदमाश भी यही कर रहे हैं?
सूत्रों की मानें तो झांसी के हर थाने में गैर जरूरी लोगों की दखलंदाजी बढ़ रही है। इनके सामने थाना प्रभारी भी बेबस नजर आते हैं। शहर के थानों में ये 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। एसएसपी कार्यालय में ऐसे लोगों का जमावड़ा साफ देखा जा सकता है। जो फरीयादियों से पैसा उगाने के अलावा अधिकारियों की लोकेशन भेज रहे हैं। जो थानेदार इनका विरोध करता है। उनको ये घेरना शुरू कर देते हैं। ऐसे लोग सट्टा, गांजा, जुआ, मादक पदार्थ, टप्पे वाजी और मध्य प्रदेश से आने वाली बसों से इनलीगल सामग्री भेजने का काम करते हैं। अब कहीं ऐसा तो नहीं है कि सूने मकानों की लोकेशन ट्रैकिंग का काम शुरू हो चुका हो?
शिकायत होने पर होती है घेराबंदी
इस गैंग से शहर का आम से लेकर खास आदमी तक प्रताड़ित हो चुका हैं। जो भी इस गैंग का विरोध करता है उसकी घेराबंदी शुरू हो जाती है। कई बड़े मामलों में इन पर एफआईआर हुईं। लेकिन पीड़ित पक्ष को ऐसे लोग डरा धमकाकर समझौता कर लेते हैं।
मोबाइल सर्विलांस पर लगा तो खुल जाएंगे राज ?
सूत्र बताते हैं, पुलिस यदि उन्हें चिन्हित कर ले तो बड़े राज खुल जाएंगे। ऐसे लोगों की पहचान करके इनके मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लग गए तो झांसी की बड़ी से बड़ी घटना तक खुल सकती है।
Published on:
26 Mar 2023 08:16 am
बड़ी खबरें
View Allझांसी
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
