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मरू व ऊंट महोत्सव की तर्ज पर राज्य स्तर पर पहचान नहीं बना पा रहा आबूसर का पर्यटन मेला

आबूसर में कई साल से शेखावाटी हस्त​शिल्प एवं पर्यटन मेला भर रहा है, लेकिन यह राज्य स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पा रहा।

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​आबूसर के मेले में प्रस्तुति देती युवती।

ना अधिकारी दे रहे ध्यान ना ही चुने हुए जनप्रतिनिधियों को चिंताझुंझुनूं. एक दशक से ज्यादा समय से आबूसर गांव में भर रहा शेखावाटी हस्तशिल्प एवं पर्यटन मेला राज्य स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पा रहा। किसी के ध्यान नहीं देने के कारण मेले में हर बार की तरह इस बार भी लीक सी पीटी जा रही है। जो दुकानदार हर साल आते हैं, खाने पीने के जो स्टॉल हर साल लगते हैं, इस बार भी अधिकतर वे ही स्टॉल मेले में लगे हुए हैं। कइयों का तो स्थान तक नहीं बदला। मेले का उदघाटन जिला कलक्टर व जनप्रतिनिधियों ने किया। लेकिन मेले को राज्य स्तर पर कैसे पहचान दिलाएं, इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। जबकि बीकानेर का ऊंट महोत्सव, पुष्कर का मेला व जैसलमेर का मरू महोत्सव पूरे राज्य में ही नहीं बल्कि नेशनल लेवल पर अपनी विशेष पहचान बना चुके। झुंझुनूं में तीन जनवरी से शुरू हुए मेले का समापन 12 जनवरी को होगा।

किसी से आठ हजार तो किसी से ले रहे तेरह हजार

मेले में आने वाले दुकानदारों से किसी से साइज व लोकेशन के अनुसार आठ हजार रुपए लिए जा रहे हैं तो किसी से तेरह हजार व उससे ज्यादा। फूड स्टॉल व चकरी झूलों की रेट तो और भी ज्यादा है। मेले में दुकान लगा रहे झुंझुनूं शहर के एक व्यक्ति ने बताया कि उससे आठ हजार रुपए लिए हैं, इसकी रसीद तो दी है, लेकिन स्थानीय दुकानदारों को यह राशि वापस लौटानी चाहिए। दुकान लगा रही महिला ने बताया कि झुंझुनूं वालों से दुकान की राशि नहीं ली जानी चाहिए। उनके लिए लिए यह फ्री होना चाहिए। कपड़े व खान-पान तक सिमटा मेलाअधिकतर स्टॉल कपड़ों व खानपान की है। हालांकि मेले में दर्शकों की संख्या अच्छी है। लेकिन शहर वाले कम, ग्रामीण क्षेत्र के लोग ज्यादा नजर आ रहे हैं।

मरू महोत्सव:

जैसलमेर के मरू महोत्सव में मिस मूमल, मिस पोकरण, सबसे लम्बी मूंछ व पगड़ी बांधने जैसे कई रोचक कार्यक्रम होते हैं।

पुष्कर मेला:

अजमेर जिले के पुष्कर का मेला तो अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो चुका। कार्तिक माह में लगने वाला मेले में ऊंट, घोडों की प्रतियोगिता होती है। साथ ही इसकी पहचान सबसे बड़े ऊंट मेलों में है। यहां हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं।

ऊंट महोत्सव:

बीकानेर के जूनागढ़ किले की लाल पृष्ठभूमि के सामने ऊंटों को खूबसूरती सभी को लुभाती है। ऊंटों को रंग-बिरंगे आभूषण और लगाम पहनाई जाती है। ऊंट सफ़ारी का आयोजन होता है।यह मेला भी नेशनल लेवल पर पहचान बना चुका।

फैक्ट फाइल

मेला स्थल: आबूसर

-मेले की तारीख: तीन जनवरी से बारह जनवरी-अब तक बिक्री: एक करोड़ सत्तर लाख

कुल स्टाल: 250आयोजक: जिला उद्योग एवं वाणिज्य केन्द्र तथा सहयोग जिला प्रशासन

अब तक लोग पहुंचे: करीब डेढ लाख

इनका कहना है

पिछली बार से अच्छा करने का प्रयास किया है। मरू महोत्सव व ऊंट महोत्सव में क्या अलग होता है, इसकी स्टडी करवाई जाएगी। मेले को स्टेट व नेशनल लेवल पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

रामावतार मीणा, जिला कलक्टर झुंझुनूं


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