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आप भी जानिए राजस्थान में कौन से हैं वे गांव जहां भरे हैं तांबे के भंडार

खेतड़ीनगर, कोलिहान, सिंघाना, खेतड़ी, बनवास, चांदमारी, धानी बासरी, बनीवाला की ढाणी, ढोलामाला, अकवाली, पचेरी, रघुनाथगढ़, माकड़ो, बागेश्वर, खरखड़ा, श्यामपुरा भिटेरा, वसंत विहार, जसरापुर, मुरादपुर, भोदन इश्कपुरा व आस-पास के गांवों की पहाडिय़ों के नीचे तांबे के भंडार भरे हुए हैं।

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आप भी जानिए राजस्थान में कौन से हैं वे गांव जहां भरे हैं तांबे के भंडार

आप भी जानिए राजस्थान में कौन से हैं वे गांव जहां भरे हैं तांबे के भंडार


झुंझुनूं/खेतड़ीनगर. सरकार ने भले ही खेतड़ी स्थित कॉपर कॉम्पलेक्स के अधिकांश संयंत्रों को धीरे-धीरे बंद कर ही है, लेकिन यहां तांबे के भंडारों में कोई कमी नहीं आई है। खेतड़ी व आस-पास की पहाडिय़ों के नीचे इतना तांबा है कि अगले सौ वर्ष में भी पूरा नहीं निकाला जा सकता। तांबे के यहां अकूत भंडार हैं। 20वीं सदी की शुरुआत में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ), इंडियन ब्यूरो ऑफ माइन्स (आइबीएम) के भूगर्भ विशेषज्ञों ने यहां तांबे की खोज की। फिर नेशनल माइनिंग डवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) ने खेतड़ी खान का विकास किया। जीएसआइ के सर्वे के अनुसार सिंघाना से रघुनाथगढ़ तक 80 किलोमीटर लम्बे व चौड़े क्षेत्र में तांबे के विशाल भंडार हैं। वर्ष 1975 से अब तक यहां करीब 10 से 15 फीसदी तांबा ही निकाला जा सका है।

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यहां भरे हैं तांबे के भंडार

खेतड़ीनगर, कोलिहान, सिंघाना, खेतड़ी, बनवास, चांदमारी, धानी बासरी, बनीवाला की ढाणी, ढोलामाला, अकवाली, पचेरी, रघुनाथगढ़, माकड़ो, बागेश्वर, खरखड़ा, श्यामपुरा भिटेरा, वसंत विहार, जसरापुर, मुरादपुर, भोदन इश्कपुरा व आस-पास के गांवों की पहाडिय़ों के नीचे तांबे के भंडार भरे हुए हैं।

एशिया में था पहला स्थान

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की केसीसी इकाई का तांबा उत्पादन में एशिया में पहला स्थान था। केसीसी प्लांट तो सिर्फ 3 से 4 किलोमीटर इलाके में ही खनन कर रहा है।

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6 स्तर पर खनन

तांबे का खनन करने के लिए माइनिंग खान में 6 लेवल पर खनन किया जा रहा है। जीरो लेवल अंतिम खनन पॉइंट है, जमीन से करीब 370 मीटर नीचे है। यह महासागर तल के बराबर है। फिलहाल अंतिम 3 लेवल पर ही खनन कार्य किया जा रहा है। खेतड़ी तांबा श्रमिक संघ के बिडदूराम सैनी व बीएमएस के श्यामलाल सैनी ने बताया कि अब भी खेतड़ी के केसीसी प्लांट के पास पहाडिय़ों के नीचे तांबा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। तांबा होने की वजह से यहां की पहाडिय़ां भी पीले रंग की ही नजर आती है। यहां इतना तांबा है कि अगले सौ साल से ज्यादा समय तक दिन-रात खनन किया जाए तो भी पूरा तांबा नहीं निकाला जा सकता।

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सर्वे के अनुसार यहां इतना तांबा
माइन — रॉ मेटेरियल — तांबे की ग्रेड

खेतड़ी माइन —32 एमटी —1.13
चांदमारी माइन— 6.07 एमटी —1.03

बनवास ब्लॉक —24.77 एमटी —1.69
कोलीहान माइंस —19.46 एमटी —1.32

चांदमारी कोलिहान इंटरवेलिंग ब्लॉक —12.10 एमटी —1.02
(आंकड़े जीएसआइ सर्वे के अनुसार, ग्रेड प्रतिशत सीयू में,एमटी : मिलियन टन)

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एक्सपर्ट व्यू : तांबे के अकूत भंडार

अभी जमीन के नीचे महासागर तल के बराबर से तांबा निकाला जा रहा है। इसके दूसरे चरण में माइनस सौ से 300 मीटर तक तांबा निकाला जा सकता है। यहां तांबे के अकूत भंडार हैं। सरकार चाहे और योजनाबद्ध तरीके से कार्य हो तो पूरे क्षेत्र में कई दशकों तक तांबा निकाला जा सकता है।
-डीआर मेहता, सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक (खदान) खेतड़ी

संसाधन बढ़ाने की दरकार

इलाके में ताम्बे के प्रचुर भंडार हैं। अगले सौ वर्ष भी पूरी तरह खनन किया जाए तो भी तांबा खत्म नहीं हो सकता। संसाधन व मैन पावर बढ़ाकर खनन किया जाए तो कई लोगों को यहां रोजगार मिल सकता है।

-एचएस मान, पूर्व मैनेजर, (एचआर) केसीसी संयंत्र


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