6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पैरों से लिखकर पास की बारहवीं, आगे पढ़ना चाहता है दिव्यांग नवीन, सरकार से मांगी मदद

उसके दोनों हाथ एवं पैर काम नहीं करते हैं। शारीरिक दिव्यांगता होने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और गांव के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करके बारहवीं उत्तीर्ण की।

2 min read
Google source verification
patrika_news___1.jpg

झुंझुनूं/बुहाना। उसके दोनों हाथ एवं पैर काम नहीं करते हैं। शारीरिक दिव्यांगता होने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और गांव के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करके बारहवीं उत्तीर्ण की। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने और सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण वह आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। यह मलाल है सांगवा गांव के 20 वर्षीय दिव्यांग नवीन कुमार को।

यह भी पढ़ें : Earthquake In Jaipur VIDEO : भयंकर भूकंप से हिले मकान, एक्सपर्ट ने बताई पीछे की सच्चाई

आगे पढ़ना चाहता है, घर चलाना चाहता है
दिव्यांग नवीन कुमार का कहना है वह घर के पास परचून एवं अन्य सामान की दुकान खोलकर जीवन बसर करना चाहता है। सरकार से कुछ सहयोग मिले तो परिवार पर बोझ नहीं बनकर अपनी जीविका चला सकता है। आर्थिक सहायता मिले तो पढ़ाई भी जारी रखने की तमन्ना है।

पैर से लिखता है, मोबाइल चलाता है
दिव्यांग नवीन कुमार के दोनों हाथ-पैर काम नहीं करते हैं। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। लिखने के लिए हाथ ने साथ नहीं दिया तो पैर से लिखने का अभ्यास शुरू किया। कुछ समय बाद ही नवीन कुमार अपने पैर का लिखने में उपयोग करने लगा। पैर के अंगूठे में पैन डालकर साधारण विधार्थी की तरह अक्षर लिखता है। पैर से आरी चलाने, लिखने, मोबाइल चलाने सहित अन्य कार्य कर लेता है। दोनों पैरों को हाथ की तरह उपयोग करता है। प्लेट में खाना परोसने के बाद उसे खाट या टेबल पर रखने के बाद वह खा लेता है।

यह भी पढ़ें : सब्जियों के दामों ने बिगाड़ा रसोई का बजट, आम आदमी की थाली से टमाटर के बाद गायब हुई एक और सब्जी

दिव्यांग प्रमाण पत्र है लेकिन पेंशन नहीं मिल रही
एक तरफ सरकार दिव्यांगों और गरीबों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने की बात कह रही है। वहीं नवीन कुमार अब तक दिव्यांगों को मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाओं से महरूम है। इसके लिए उसके घरवाले कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पास चक्कर लगा चुके लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके पास दिव्यांग प्रमाण-पत्र भी है। पूर्णत: दिव्यांग होने के बाद भी उसे राज्य सरकार की तरफ से पेंशन भी नहीं मिल रही है। दिव्यांग अपने परिजन के साथ चाचा के घर में रहता है। उसके पिता का निधन हो चुका है। बड़ी बहन की शादी कर दी है। एक छोटा भाई नौकरी की तैयारी कर रहा है। दिव्यांग की माता धनकोरी देवी आंगनबाड़ी में सहायिका का कार्य कर घर चला रही है।


बड़ी खबरें

View All

झुंझुनू

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग