
झुंझुनूं। फसलों को सर्दी और गर्मी से बचाने और उत्पादन की लागत को कम करने के लिए किसान अब लो-टनल और मल्चिंग तकनीक से खेती कर रहे हैं। झुंझुनूं जिले में 225 से अधिक किसान इस तकनीक से खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। लो-टनल व मल्चिंग से पानी की भी बचत होने के कारण मिर्च, टमाटर, खीरा, तरबजू, खरबजू, तोरई व अन्य फसलें उगाई जा रही हैं।
लो-टनल व मल्चिंग ऐसी तकनीक है, जिसमें खेत में फसल की रोपाई के बाद सरियों से सुरंग जैसा ढांचा बनाया जाता है। इसे प्लास्टिक की चादर से ढक दिया जाता है। यह तकनीक सब्जियों की बेमौसम खेती के लिए बहुत ही उपयोगी है। वहीं, मल्च विधि में खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक चादर से ढका जाता है।
तकनीक से फायदा
दोनों ही तकनीक भूमि में नमी अधिक समय तक बनाई रखती हैं। खरपतवार का प्रकोप नहीं होता। भूमि के तापमान को भी कम कर देती हैं और भूमि को कठोर होने से भी बचाती है।
सब्जियां भी कर रहे पैदा
केस 1
इंद्रपुरा गांव के किसान प्रवीण इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। वे कई साल से लो-टनल और मल्चिंग विधि से खेती कर रहे हैं। 20 बीघा में तरबूज व दस बीघा में खरबूज की खेती की है। सब्जियों की भी खेती करते हैं।
केस 2
मणकसास के अनूपसिंह राजपूत पांच साल से दोनों विधियों से तरबूज, खीरा समेत अन्य सब्जियां पैदा कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। वर्तमान में इन्होंने 13 बीघा में मिर्च व टमाटकर की खेती कर रखी है।
मिल रहा अनुदान
किसानों का लो-टनल व मल्च विधि जैसी तकनीक से खेती करने के प्रति रूझान बढ़ा है। लो टनल पर किसानों को 50% अनुदान एक हजार वर्गमीटर तक और लघु सीमांत कसानों को 75% अनुदान चार हजार वर्ग मीटर तक देय है। प्लास्टिक मल्च पर सामान्य को 50%, लघु एवं सीमांत को 75% अनुदान दो हैक्टेयर पर दिया जा रहा है।
शीशराम जाखड़, सहायक निदेशक उद्यान विभाग (झुंझुनूं)
Updated on:
11 Dec 2022 05:43 pm
Published on:
11 Dec 2022 05:42 pm
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