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Video भारत का अनूठा मंदिर, यहां हर दिन बांटते हैं काजू की बर्फी का प्रसाद

भोग बाहर की दुकानों से नहीं मंगवाया जाता है। मंदिर की रसोई में ही ताजा तैयार किया जाता है। भोग बनाने के लिए अलग से रसोइए लगे हुए हैं। भोग के लिए दूध भी पैकेट का नहीं मंगवाया जाता है। केवल गाय के दूध का ही भोग लगाया जाता है। दर्शनार्थियों को हर दिन काजू की बर्फी का प्रसाद वितरित किया जाता है।

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Video भारत का अनूठा मंदिर, यहां हर दिन बांटते हैं काजू की बर्फी का प्रसाद

Video भारत का अनूठा मंदिर, यहां हर दिन बांटते हैं काजू की बर्फी का प्रसाद

Lakshmi Nath Mandir Jhunjhunu

झुंझुनूं. भारत में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं। लेकिन आज जिस मंदिर की विशेषता बता रहे हैं, वह सबसे अनूठा है। अनूठा इसलिए क्योंकि यहां हर दिन पूर्णिमा को छोड़कर काजू की बर्फी का प्रसाद वितरित किया जाता है। यह मंदिर राजस्थान के झुंझुनूं शहर के खेतानों का मोहल्ला में है। करीब सौ साल से ज्यादा पुराने लक्ष्मीनाथजी (ठाकुरजी) मंदिर में हर दिन भक्तों को प्रसाद में काजू की बर्फी वितरित की जाती है। सौ साल से ज्यादा पुराने मंदिर के प्रति भक्तों की अपार आस्था है। यहां दिन में सात बार आरती व सात बार ही ठाकुरजी को भोग लगाया जाता है। भोग में अलग-अलग व्यंजन हाेते हैं।

पूजा करने वाले रामस्वरूप त्रिवेदी ने बताया कि भोग बाहर की दुकानों से नहीं मंगवाया जाता है। मंदिर की रसोई में ही ताजा तैयार किया जाता है। भोग बनाने के लिए अलग से रसोइए लगे हुए हैं। भोग के लिए दूध भी पैकेट का नहीं मंगवाया जाता है। केवल गाय के दूध का ही भोग लगाया जाता है। दूध गोशााला से मंगवाया जाता है।
भोग व आरती का समय गर्मी व सर्दी में बदलता रहता है। पुजारी राज बहादुर तिवारी ने बताया कि मंदिर में हर दिन शाम सात बजकर 45 मिनट से सवा आठ बजे तक भजन होते हैं। दर्शनार्थियों को हर दिन काजू की बर्फी का प्रसाद वितरित किया जाता है। पूर्णिमा को पंजीरी व पंचामृत का प्रसाद वितरित किया जाता है।
सीए मनीष अग्रवाल ने बताया कि मंदिर में हर दिन श्रद्धालु उमड़ते हैं। मंदिर का निर्माण भी आकर्षक है। यह काफी ऊंचाई पर बना हुआ है। मंदिर के नीचे ही आयर्वेद औषधालय भी संचालित है। मंदिर कमेटी से जुड़े तरुण खेतान ने बताया कि मंदिर के अंदर गोल्डन चित्रकारी बनी हुई है। यह भी अपने आप में अनूठी है।

विक्रम संवत 1976 में बना था

मंदिर में कार्यरत रघुनाथ प्रसाद शर्मा मौजास ने बताया कि मंदिर का निर्माण विक्रम सम्वत 1972 में शुरू किया गया था। इसका निर्माण 12 मई, 1919 (विक्रम संवत 1976 ) में पूरा हुआ। मंदिर झुंझुनूं निवासी रामविलास राय खेतान ने बनवाया था। इसे बनने में करीब चार साल लगे थे।


सात भोग, सात आरती
मंगला मखाने

धूप बादाम की बर्फी

शृंगार सुहाली व दूध

शयन खीर, दाल चावल व फुलका

ग्वाल काजू की बर्फी

संध्या दूध, पुरी व साग

रात्रि शयन सुहाली व दूध