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शहीद राजेन्द्र भाम्बू अमर रहे के नारों के साथ अंतिम संस्कार, 11 साल के बेटे अंशुल ने दी मुखाग्नि

locationझुंझुनूPublished: Aug 13, 2022 02:44:41 pm

जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए मालीगांव के लाल राजेन्द्र भाम्बू का शनिवार दोपहर को नम आंखों से राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद की प्राथिव देह देर रात चिड़ावा पहुंची थीं। वहां से शनिवार सुबह प्राथिव देह को उनके गांव लाया गया।

शहीद राजेन्द्र भाम्बू अमर रहे के नारों के साथ अंतिम संस्कार, 11 साल के बेटे अंशुल ने दी मुखाग्नि

शहीद राजेन्द्र भाम्बू अमर रहे के नारों के साथ अंतिम संस्कार, 11 साल के बेटे अंशुल ने दी मुखाग्नि

झुंझुनूं. जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए मालीगांव के लाल राजेन्द्र भाम्बू का शनिवार दोपहर को नम आंखों से राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद की प्राथिव देह देर रात चिड़ावा पहुंची थीं। वहां से शनिवार सुबह प्राथिव देह को उनके गांव लाया गया। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धांजलि दी।

वहीं शहीद की पार्थिव देह बगड़ पहुंचने पर भारत माता के जयघोष व राजेन्द्र भाम्बू अमर रहे के नारों के साथ पुष्प वर्षा कर युवाओं ने तिरंगा बाइक रैली निकालकर श्रद्धाजलि दी। शहीद का शव जैसे ही गांव पहुंचा। उनकी पत्नी व बच्चे बेसुध हो गए। उनका रो-रो कर बुरा हाल हो गया। दोपहर में निकाली गई अंतिम यात्रा में भारत माता की जय, वंदे मातरम और शहीद राजेन्द्र भाम्बू अमर रहे के नारे गूंजे।

अपने पति की पार्थिव देह को तिरंगे में लिपटी देखकर वीरांगना तारामणि बेसुध हो गई। शहीद की मां… का भी रो रोकर बुरा हाल था। वहीं शहीद के तीनों बच्चें भी परिजनों को रोते देखकर खुद भी बिलख पड़े। 11 साल का छोटा बेटा अंशुल सवाल पूछ रहा था कहां गए मेरे पापा क्या हो गया मेरे पापा को।

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इससे पहले तिरंगा रैली चिड़ावा बाईपास रोड़ से शुरू हुई जो बगड़ होते हुए शहीद के घर तक पहुंची। तिरंगा रैली में शहीद राजेंद्र भाम्बू की बटालियन 11 राजरैफ के छुट्टी पर चल रहे सीकर, चुरू झुंझुनूं के जवान व आस पास के गांवों के सेवानिवृत्त सैनिक भी शामिल हुए।

राजेन्द्र के साथी मनोज भाम्बू ने बताया कि हम चार दोस्तों में करगिल युद्ध के दौरान बातचीत हो रही थी। उस वक्त राजेन्द्र ने कहा था कि पता नहीं किसकों तिरंगे में लिपट कर गांव जाने का सोभाग्य मिलेगा। आज यह सोभाग्य राजेन्द्र को मिला है।

गौरतलब है कि झुंझुनूं के मालीगांव के जवान राजेंद्र प्रसाद (48) के पिता बदरू प्रसाद भी सेना में थे। उन्होंने कहा कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। यही बात बड़ी बेटी प्रिया ने भी कही। राजेन्द्र 21 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हुए थे। वह नवम्बर में बेटी की शादी में आने वाले थे।

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