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Video झुंझुनूं आई ऐसी मशीन, पुस्तक को स्कैन कर नेत्रहीनों को सुनाएगी

राजस्थान के झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर गांधी चौक के पास स्थित जिला पुस्तकालय में अत्याधुनिक तकनीक की मशीन लगाई गई है। यह मशीन विशेषतौर पर दृष्टीबाधित बालकों व युवाओं के लिए है। इस मशीन में विशेष प्रकार का स्कैनर लगा हुआ है। यह स्कैनर पहले पुस्तक को पढ़ता है। फिर कम्प्यूटर में लगे विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से समझकर स्पीकर से सुनाता है।

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Video झुंझुनूं आई ऐसी मशीन, पुस्तक को स्कैन कर नेत्रहीनों को सुनाएगी

Video झुंझुनूं आई ऐसी मशीन, पुस्तक को स्कैन कर नेत्रहीनों को सुनाएगी

Government library jhunjhunu

झुंझुनूं. खूबसूरत दुनिया को नहीं देख सकने वाले दृष्टीबाधित युवाओं व उनके परिजनों के लिए अच्छी खबर है। अब वे अपनी पढाई आगे जारी रख सकेंगे। इसके अलावा झुंझुनूं में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर सकेंगे। किसी भी प्रकार की पुस्तक को मशीन के सहयोग से आसानी से सुन सकेंगे।
राजस्थान के झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर गांधी चौक के पास स्थित जिला पुस्तकालय में अत्याधुनिक तकनीक की मशीन लगाई गई है। यह मशीन विशेषतौर पर दृष्टीबाधित बालकों व युवाओं के लिए है। इस मशीन में विशेष प्रकार का स्कैनर लगा हुआ है। यह स्कैनर पहले पुस्तक को पढ़ता है। फिर कम्प्यूटर में लगे विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से समझकर स्पीकर से सुनाता है। इसके माध्यम से बालक किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। कम्प्यूटर का की बोर्ड व माउस भी बोलने वाले लगे हुए हैं। जिन बालकों को ब्रेल लिपि नहीं आती, वे भी इस विशेष मशीन के माध्यम से पुस्तक को सुन सकते हैं।

महाभारत भी ब्रेल लिपि में

पूरी मशीन, अन्य उपकरणों व पुस्तकों पर लगभग छह लाख रुपए का खर्चा आया है। यहां ब्रेल लिपि में लिखी हुई करीब 450 पुस्तकें भी हैं। इनमें साहित्य के अलावा धार्मिक पुस्तकें भी हैं। पूरी महाभारत भी ब्रेल लिपी में लिखी हुई है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन कोलकाता ने इसका सम्पूर्ण खर्चा उठाया है। यहां बालकों के बैठने के लिए कुर्सी, टेबल, पंखे व सौफे भी लगे हुए हैं। Government library jhunjhunu पुस्तकालय के कार्यवाहक प्रभारी द्वारका प्रसाद सैनी ने बताया कि यहां ब्रेल लिपि पढा हुआ कोई भी व्यक्ति आकर किताबों का अध्ययन कर सकता है। इसके अलावा सामान्य पाठकों के लिए पचास हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं।

इनका कहना है

दृष्टीबाधित युवक-युवतियों के लिए खास मशीन यहां लगाई गई है। पुस्तक चाहे हिन्दी माध्यम हो या अंग्रेजी। सभी को मशीन स्कैन कर सकती है। पाठक को आसान तरीके से सुनाती है। दृष्टीबाधित बच्चों को इससे जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। चिकित्सा विभाग तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से दृष्टीबाधित बालकों की सूचना मांगी है। ताकि ज्यादा से ज्यादा इसका फायदा उठा सकें।

हिमांशु सिंह, कार्यवाहक पुस्तकालयाध्यक्ष


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