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Real Life Motivational Story: स्टार्टअप करने की सोच रहे युवाओं के लिए प्रेरणा बना ये करोड़ों का बिजनेस

StartUp Business Ideas: पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी हासिल करना हर किसी की हसरत होती है। लेकिन शेखावाटी के कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने कुछ नहीं होते हुए भी नौकरी करने के बजाय खुद का बिजनेस शुरू कर दूसरों को नौकरी देने की सोची।

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युगलेश शर्मा./झुंझुनूं. Business News: पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी हासिल करना हर किसी की हसरत होती है। लेकिन शेखावाटी के कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने कुछ नहीं होते हुए भी नौकरी करने के बजाय खुद का बिजनेस शुरू कर दूसरों को नौकरी देने की सोची। मेहनत और काबिलियत के बल पर उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया। आज वह करोड़ों की कम्पनी के मालिक हैं और लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।

शेखावाटी में शुरू किया स्टार्ट अप, देश भर में फैलाया जाल
चूरू के युवा राकेश प्रजापत ने स्थानीय युवाओं को कमाने के लिए बाहर जाते देखा तो यहीं पर लोगों को रोजगार देने के लिए चूरू में ही स्टार्ट अप शुरू कर दिया। छोटी जगह पर बड़ा विजन रखते हुए उन्होंने जेबर्स डॉट कॉम की शुरुआत कर कामयाबी हासिल की। उनकी कम्पनी का हैडक्वार्टर चूरू में ही है। जहां से देश के लोगों को सामान खरीदकर उपभोक्ता को नो इएमआई कोस्ट पर डिलिवर किया जा रहा है। खास बात यह है कि बिना किसी फंडिंग के काम शुरू किया और आज देशभर से पैसा राजस्थान के साथ-साथ चूरू में बैंकों के जरिए आ रहा है। राकेश के अनुसार यह देश की पहली स्वदेशी कंपनी है। देश के 33 हजार से ज़्यादा पिनकोड तक पहुंच, 150 से ज्यादा ब्रांड्स और 50 हज़ार से ज्यादा प्रोडक्ट्स, 48 बैंक और फाइनेंस कंपनियों के साथ ज़ेबर्स हर रोज़ अपने पोर्टफोलियो में 500 से ज्यादा प्रोडक्ट्स शामिल कर रहा है।

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बैंक के चक्कर लगाने वालों का बन गया साथी, 15 लाख को दिया रोजगार
झुंझुनूं जिले के छोटे से गांव भोजनगर के बेटे जितेन्द्र ढाका के पिता गांव में खेती करते थे। जितेन्द्र ने भी खेती में खूब हाथ बंटाया। एक दिन एजुकेशन लोन के लिए बैंक के चक्कर काटने पड़े और बैंक में आए हुए गांव के लोगों से बात की तो पता चला कि बहुत से लोगों को फाइनेंशियल प्रोडक्ट के बारे में पता ही नहीं है। बस...उसी समय सोच लिया कि लोगों को बैंक के कार्य के लिए भटकना नहीं पड़े, ऐसा कार्य करना है। जितेन्द्र ने वर्ष 2020 में बैंक साथी एप शुरू किया। इसमें लगभग सभी बैंकों को जोड़ा गया। देश के कोने-कोने में 15 लाख एडवाइजर नियुक्त कर दिए। यह एडवाइजर लोगों को लोन, क्रेडिट कार्ड, इंश्योरेंस, बैंक खाता खुलवाने आदि कार्य में मदद करते हैं। आज देश में क्रेडिट कार्ड बेचने के मामले में उनकी कम्पनी तीसरे नम्बर पर है। कम्पनी की वैल्यू 300 करोड़ की है और सालाना टर्न ओवर 100 करोड़ का बताया जा रहा है।

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रातों रात गंवाई 40 करोड़ की कम्पनी लेकिन हार नहीं मानी
पिलानी के पास हरियाणा के बहल गांव निवासी और झुंझुनूं के भाणजे विनय सिंघल के पिता गांव में परचूनी की दुकान चलाते थे। विनय ने देखा कि लोकल बोलियों पर कहीं कोई काम नहीं हो रहा तो उन्होंने अपने भाई प्रवीण और दोस्त शशांक के साथ मिलकर फेसबुक पर कंटेंट पेज तैयार किया। लेकिन एक दिन फेसबुक ने अचानक उनका पेज ब्लॉक कर दिया और पल भर में 40 करोड़ के टर्न ओवर वाली उनकी कम्पनी गायब हो गई। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके साथ काम कर रहे 54 लोगों ने उनका साथ दिया और 6 महीने तक सिर्फ 25% सैलरी पर काम करते रहे। आखिरकार 2019 में स्टेज एप लॉन्च किया। विनय बताते हैं कि यह स्थानीय बोलियों का पहला ओटीटी प्लेटफार्म है। इस पर फिलहाल हरियाणा और राजस्थानी कलाकारों को मौका दिया जा रहा है। आने वाले समय में लोकल बॉलीवुड तैयार करने की उनकी योजना है। आज उनकी कम्पनी की वैल्यूशन 300 करोड़ की है।


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