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यूपी व बिहार के बाद सबसे ज्यादा बाल श्रमिक राजस्थान में

एक सर्वे के अनुसार प्रतापगढ़, धौलपुर, अजमेर व बांसवाड़ा में पर्यटन से जुड़े उद्योग में सर्वाधिक बालश्रमिक हैं। इनके अलावा राजस्थान की राजधानी जयपुर, जहां सबसे ज्यादा अधिकारी बैठते हैं, वहां रत्न पॉलिस के उद्योग में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक हैं। अजमेर व भीलवाड़ा में ईंटभट्टों पर बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं।

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यूपी व बिहार के बाद सबसे ज्यादा बाल श्रमिक राजस्थान में

यूपी व बिहार के बाद सबसे ज्यादा बाल श्रमिक राजस्थान में

#savechild

राजेश शर्मा
झुंझुनूं. अनेक विभाग, अनेक संस्थाओं, पुलिस व प्रशासन पर करोड़ों रुपए खर्च करने केबावजूद राजस्थान में बालश्रम खत्म नहीं हो रहा। पूरे विश्व में करीब 16 करोड़ बाल श्रमिक हैं। इनमें से 7.9 करोड़ जोखिम भरा कार्य कर रहे हैं। राजस्थान के हालात भी अच्छे नहीं हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पूरे देश में बाल श्रम में हमारा राज्य तीसरे स्थान पर हैं। यह चिंता का विषय है। सेव द चिल्ड्रन फाउण्डेशन के एक सर्वे के अनुसार प्रतापगढ़, धौलपुर, अजमेर व बांसवाड़ा में पर्यटन से जुड़े उद्योग में सर्वाधिक बालश्रमिक हैं। इनके अलावा राजस्थान की राजधानी जयपुर, जहां सबसे ज्यादा अधिकारी बैठते हैं, वहां रत्न पॉलिस के उद्योग में बड़ी संख्या में बाल श्रमिक हैं। अजमेर व भीलवाड़ा में ईंटभट्टों पर बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं।

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देश में बालश्रम
उत्तरप्रदेश 2.8 मिलीयन
बिहार 1.09 मिलीयन
राजस्थान 0.85 मिलीयन
महाराष्ट्र 0.73 मिलीयन
मध्यप्रदेश 0.70 मिलीयन
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राजस्थान में बालश्रम

848386 बाल श्रमिक 2011 की गणना के अनुसार
40.8प्रतिशत बाल श्रमिक निरक्षर
एससी के 5.3 प्रतिशत
एसटी के 7.6 प्रतिशत

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ईंट भटें पर भी बालश्रम

शिक्षित रोजगार केन्द्र प्रबंध समिति राजस्थान (एसआरकेपीएस) की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में करीब पचास हजार ईंट भट्टे हैं। पूरे देश में 12.5 लाख बाल श्रमिक ईंट भट्टों पर कार्यरत हैं। अकेले राजस्थान में करीब 2500 ईंट भट्टे हैं। यहां करीब 62500 बाल श्रमिक सर्वे में सामने आए हैं। इनमें से अधिकतर दूसरे राज्यों के हैं। रिपोर्ट में बताया है कि ईंट भट्टों के मालिक किसी एक परिवार को एडवांस में रुपए दे देते हैं, इसके बाद वह उनसे काम के घंटों की बजाय नग(पीस) के अनुसार मजदूरी देता है। यह मजदूरी इतनी कम होती है कि कर्ज उतारने के लिए पूरे परिवार को काम करना पड़ता है। इनके अलावा बीड़ी व तम्बाकू उद्योग में भी बालश्रमिक लगे हुए हैं।


इनका कहना है
सर्वे व अनेक रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में बाल श्रम में हमारा राज्य तीसरे स्थान पर है।
इसे खत्म करने के लिए सरकार के साथ सभी संस्थाओं को मिलकर कार्य करना होगा। बच्चों को शिक्षा से जोडऩा होगा। गरीबी हटाने पर धरातल पर कार्य करना होगा।
-राजन चौधरी, सचिव, एसआरकेपीएस


बच्चों के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हम हर संभव कार्य करेंगे।
-संगीता बेनीवाल, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग