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झुंझुनू

शेखावाटी की पावरफुल मां सावित्री, बेटा आइपीएस, बेटी आइएएस

मुझे उस दिन सबसे ज्यादा खुशी हुई जब एक ही दिन बेटा आइपीएस और बेटी आइएएस बनी। दोनों ने मसूरी में एक ही दिन ट्रेनिंग शुरू की। एक ही बैच में ट्रेनिंग पूरी की। अब बेटा और बेटी बड़े पदों पर है।

झुंझुनूMay 08, 2022 / 08:54 pm

Rajesh

शेखावाटी की पावरफुल मां सावित्री, बेटा आइपीएस, बेटी आइएएस

शेखावाटी की पावरफुल मां सावित्री, बेटा आइपीएस, बेटी आइएएस


राजेश शर्मा

झुंझुनूं. मां पहली गुरु होती है। उसकी डांट, उसके संस्कार, उसकी दुलार सभी का बच्चों के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। मां सब कुछ जानती है। बेटे की उदासी का कारण भी बिना पूछे ही जान जाती है। वह चाहती है उसके बेटे बेटियां नाम कमाएं। आगे बढ़ें। चाहे उसके लिए उसे कितनी भी मेहनत करनी पड़े। आज मातृत्व दिवस है। आज हम बता रहे हैं ऐसी दो मां के बारे में खुद तो ज्यादा नहीं पढ़ी लेकिन उनके बेटी-बेटियां आइएसएस और आइपीएस हैं।
मैं तो एक ही बात कहती थी, पढ़ोगा तो आगे बढ़ोगा

मेरा पीहर कालेरों का बास गांव में है। मुझे याद नहीं है मैं स्कूल कितने दिन गई। शादी के बाद अलसीसर आ गई। पीहर की बजाय अलसीसर बड़ा कस्बा था। यहां बच्चों को हर दिन स्कूल जाते हुए देखती। उनको देखकर ठान लिया, मैं तो नहीं पढ़ी लेकिन मेरे बच्चों को जरूर पढ़ाऊंगी। यह कहना है अलसीसर के निकट रामू की ढाणी निवासी सावित्री देवी का। सावित्री ने बताया कि मैंने बच्चों को खूब पढ़ाया। घर से स्कूल एक कोस से ज्यादा दूर था। बच्चे स्कूल नहीं जाते तो खुद पैदल-पैदल छोड़कर आती। पांचवीं तक ढाणी के निकट सरकारी स्कूल में पढ़ाया। रोज बच्चों से कहती जो स्कूल में पढाया है उसे घर पर पढो। कल क्या पढ़ाएंगे उसे एक दिन पहले ही पढ़कर जाओ। उनको एक ही बात कहती मैं तो नहीं पढ़ी लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम अफसर बनो। बेटा अनिल कुमार बड़ा हुआ। पढाई में मन लगाने लगा। वर्ष 1995 में दसवीं में मेरिट में आया। बारहवीं में भी मेरिट में आया। फिर डॉक्टर की पढा़ई की। अब उत्तरप्रदेश में भारतीय पुलिस सेवा में है। वर्तमान में अनिल भदोई जिले में एसएसपी हैं। इसी प्रकार बेटी मंजू को पढ़ाया। पहले उसने डॉक्टर बनने की पढाई की। डॉक्टर बनने के बाद आइएएस की तैयारी करने दिल्ली चली गई। वहां उसने मन से तैयार की। मैं रोज उसे फोन कर खाने व पढऩे के बारे में पूछती। उसी भी यही कहती बेटी पढऩे में ध्यान रखना। उसने भी आइएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्तमान में मंजू अलवर में यूआइटी की सचिव है। मुझे उस दिन सबसे ज्यादा खुशी हुई जब एक ही दिन बेटा आइपीएस और बेटी आइएएस बनी। दोनों ने मसूरी में एक ही दिन ट्रेनिंग शुरू की। एक ही बैच में ट्रेनिंग पूरी की। अब बेटा और बेटी बड़े पदों पर है। उनके पास खूब काम है, लेकिन दोनों हर दिन एक बार वीडियो कॉल जरूर करते हैं।

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खुद आठवीं, बेटे को बना दिया आइएएस
नवलगढ़ तहसील के देलसर खुर्द गांव निवासी सुनीता ने बताया कि उसका पीहर घोड़ीवारा में है। वह तो ज्यादा नहीं पढ़ी, लेकिन बच्चों की पढाई पर ध्यान दिया। उनके सुबह उठने, तैयार होने व पढाई का पूरा ध्यान रखा। मैं तो आठवीं तक पढ़ी थी। उस समय अंग्रेजी जानती नहीं थी। लेकिन पांचवीं के बाद बेटे को अंग्रेजी मीडियम में पढाया। मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी, लेकिन फिर भी अंग्रेजी में पाठ सुनती। बीच में उसे यूं ही टोक देती, गलत पढ़ रहा है दुबारा सुना। उसे कहती बेटा पढाई को कोई चुरा नहीं सकता। जिसने पढाई कर ली उसे कोई आगे बढऩे से नहीं रोक सकता। आज बेटा नवीन कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी है। उसकी ड्यूटी अभी बिहार की राजधानी पटना में पटना सदर अनुमंडल पदाधिकारी की है। छोटा बेटा कार्तिक बिजनेस संभाल रहा है। सुनीता ने बताया कि आइएएस बनने के बाद बेटे की शादी हुई तो आइआरएस बहू महिमा के पीहर वालों ने दहेज व कार देने का प्रस्ताव रखा लेकिन मैंने मना कर दिया। जीवन में वही धन समृद्धि देता है जो खुद का कमाया हुआ हो।
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