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Shradh 2023 जानें कब है कौनसा श्राद्ध, इस बार क्या होगा खास

मिश्रा के अनुसार पौराणिक मान्यता हैं कि पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को श्रद्धा से याद करने और विधिवत पूजन,तर्पण दान श्राद्धकर्म करने से वे प्रसन्न होते हैं । इससे व्यक्ति के जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। आमतौर से ये तीन घटकों को आपस में जोड़ती है। पहला पिंडदान , दूसरा तर्पण और तीसरा भोजन । इसके साथ ही इस दौरान पवित्र भागवत कथा आदि कराना भी शुभ माना ग

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Shradh 2023 जानें कब है कौनसा श्राद्ध, इस बार क्या होगा खास

Shradh 2023 जानें कब है कौनसा श्राद्ध, इस बार क्या होगा खास

Shradh 2023


झुंझुनूं. पूजन, तर्पण का श्राद्ध पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 29 सितम्बर से शुरू होगा। समापन आश्विन मास की अमावस्या पर 14 अक्टूबर को होगा। इस दौरान व्यक्ति अपने-अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग श्राद्ध कर्म, पूजन ,तर्पण आदि करेंगे। अधिक मास का वर्ष होने के कारण इस साल पितृ पक्ष 15 दिन की देरी से शुरू होंगे। इस दौरान शुभ व नए कार्य को टाला जाएगा।

पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि अगर किसी जातक को अपने पूर्वज के देहावसान की तिथि याद न हो तो वे आश्विन मास की अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध क्रम कर सकते हैं। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध मातृनवमी को ही करना चाहिए।
क्या है मान्यता
मिश्रा के अनुसार पौराणिक मान्यता हैं कि पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को श्रद्धा से याद करने और विधिवत पूजन,तर्पण दान श्राद्धकर्म करने से वे प्रसन्न होते हैं । इससे व्यक्ति के जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। आमतौर से ये तीन घटकों को आपस में जोड़ती है। पहला पिंडदान , दूसरा तर्पण और तीसरा भोजन । इसके साथ ही इस दौरान पवित्र भागवत कथा आदि कराना भी शुभ माना गया है।

श्राद्ध पक्ष 2023 की तिथियां
पूर्णिमा का श्राद्ध: 29 सितम्बर
प्रतिपदा का श्राद्ध: 30 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक करें, फिर दूज का श्राद्ध करें।

दूज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को 9 बजकर 47 मिनट तक करें, फिर तीज का श्राद्ध करें।
तीज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को प्रात: 9 बजकर 48 मिनट बाद करें।

चौथ का श्राद्ध: 2 अक्टूबर
पंचमी का श्राद्ध: 3 अक्टूबर

छठ का श्राद्ध: 4 अक्टूबर
सप्तमी का श्राद्ध: 5 अक्टूबर

अष्टमी का श्राद्ध: 6 अक्टूबर
नवमी का श्राद्ध: 7 अक्टूबर

दशमी का श्राद्ध: 8 अक्टूबर को प्रात: 10 बजकर 15 मिनट बाद करें।
दशमी का श्राद्ध: 9 अक्टूबर को दोपहर 12:41 मिनट तक कर सकते हैं।

एकादशी का श्राद्ध: 10 अक्टूबर
बारस का श्राद्ध: 11 अक्टूबर

तेरस का श्राद्ध: 12 अक्टूबर
चौदस का श्राद्ध: 13 अक्टूबर

अमावस्या का श्राद्ध: 14 अक्टूबर