
स्वामी विवेकानन्द
National Youth Day: गोपाल शर्मा। स्वामी विवेकानंद और झुंझुनूं के खेतड़ी का गहरा नाता हमेशा से इस क्षेत्र के इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। स्वामी विवेकानंद ने यहां के तत्कालीन महाराजा अजीत सिंह को अपना मित्र मानते थे। खेतड़ी से जुड़ी स्वामी विवेकानंद की यादें आज भी यहां के लोगों के दिलों में ताजा हैं। यह क्षेत्र आज भी उनके आदर्शों और शिक्षाओं से प्रेरित है। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में खेतड़ी तीन बार का दौरा किया। उनका पहला आगमन 7 अगस्त 1891 को, दूसरा 21 अप्रैल 1893 और तीसरा 12 दिसंबर 1897 को हुआ। इन यात्राओं के दौरान स्वामी जी और खेतड़ी के लोग एक-दूसरे से गहरे प्रभावित हुए।
स्वामी विवेकानंद के सिर पर जो पगड़ी और अंगरखा था, वह खेतड़ी के राजा अजीत सिंह की भेंट थी। इसके अलावा, स्वामी जी को ‘विवेकानंद’ नाम भी राजा अजीत सिंह ने ही दिया था, जो पहले ‘विविदिषानंद’ था और बोलचाल की भाषा में कठिन था।
खेतड़ी निवासी एवं इसरो बेंगलुरु के पूर्व निदेशक एवं पूर्व वाइस चांसलर डिफेंस यूनिवर्सिटी पुणे डॉ. सुरेंद्र पाल ने बताया कि उनकी दादी भगवती देवी स्वामी विवेकानंद के साथ नवरात्रों में एक महत्वपूर्ण घटना का हिस्सा थीं। 1891 में स्वामी जी ने कन्याओं को भोजन करवा कर उन्हें एक सिक्का भेंट किया था, जो उनके परिवार के पास अभी तक था, जिसे उन्होंने संग्रहालय में दे दिया। स्वामी जी ने उनकी दादी के पिताजी से कहा था कि उनकी पुत्री विलक्षण बुद्धि की हैं और उन्हें शिक्षा देना चाहिए। तब राजा अजीत सिंह की छोटी राजकुमारी चांद कंवर के साथ महलों में दादी के भी पढ़ने की व्यवस्था की गई। वहां उन्हें अंग्रेजी,संस्कृत व पर्सियन भाषा का अच्छा ज्ञान हो गया था।
राजा अजीत सिंह के दरबार में पंडित नारायण दास शास्त्री संस्कृत और व्याकरण के अच्छे ज्ञाता थे। स्वामी विवेकानंद ने उनसे संस्कृत और पाणिनी व्याकरण का अध्ययन किया था। पंडित शास्त्री के परपोत्र पवन कुमार शर्मा ने यह जानकारी साझा की कि स्वामी जी ने अपने समय के सबसे प्रमुख शास्त्रज्ञ से संस्कृत का गहरा अध्ययन किया था।
स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध शिकागो धर्म सम्मेलन यात्रा का सपूर्ण खर्च खेतड़ी ठिकाने ने उठाया था। यह पहल स्वामी जी और खेतड़ी के बीच के गहरे रिश्ते को और भी मजबूत करती है।
स्वामी विवेकानंद के प्रसिद्ध अंगरखे की सिलाई खेतड़ी के दर्जी भोजराज ने की थी। उनके पौत्र रामजीलाल रोहिल्ला ने बताया कि स्वामी जी का अंगरखा उनके दादा ने तैयार किया था, जो राजघराने के लिए वस्त्र तैयार करते थे।
रामकृष्ण मिशन आश्रम में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर रविवार को विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। आश्रम के सचिव स्वामी आत्मनिष्ठानंद महाराज ने बताया कि इस कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद के जीवन और कार्यों पर विचार-विमर्श होगा और विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी। समारोह की अध्यक्षता स्वामी आत्मनिष्ठानंद महाराज करेंगे, जबकि मुय अतिथि के रूप में शीतल जोशी और विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष गीता देवी सैनी उपस्थित रहेंगी।
Updated on:
12 Jan 2025 11:37 am
Published on:
12 Jan 2025 10:24 am
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