
राजस्थान के नारी गांव में धंसी मिट्टी।
जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र में जमीन के नीचे से पानी का फव्वारा फूटा था, अब राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे के नारी गांव में अचानक मिट्टी का धंसना चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसे देखने उमड़ रहे हैं। हादसा देर रात को हुआ, जिस कारण जनहानी नहीं हुई। जानकारी के मुताबिक नारी गांव में पहाड़ी के बगल से नारी-खेतड़ी रेलवे स्टेशन की तरफ आम रास्ता गुजरता है। रास्ते के बगल में ही पहाड़ी में खनन और ब्लॉस्टिंग के कारण रास्ते के नीचे से मिट्टी का कटाव हो गया। रात करीब दो बजे तेज धमाके की आवाज के साथ करीब तीन सौ फीट के रास्ते की मिट्टी और ग्रेवल सड़कपहाड़ी के खदान में समा गई। आधी रात को अचानक तेज धमाके की आवाज सुनकर आस-पड़ौस के लोग सहम गए। लोगों ने रात को ही मौके पर जाकर देखा तो रास्ता धंसा हुआ था। ग्रामीणों ने तेज धंुध और रास्ता धंसने के कारण हादसे की आशंका को देखते हुए दोनों तरफ झाड़ी-कीकर डालकर रास्ते को बंद किया। प्रशासन को भी हादसे की सूचना दी।
सुबह चिड़ावा नायब तहसीलदार बलवीर कुल्हरी, पटवारी लालचंद सैनी, आशीष झाझडिय़ा और खनन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। सूचना पर ग्रामीण भी एकत्र हो गए। ग्रामीणों ने बताया कि पहाड़ी में नियमित खनन किया जा रहा है। जिस कारण क्षेत्र से बाहर रास्ते के पास भी खनन किया गया। भारी ब्लॉस्टिंग और अवैध खनन के कारण रास्ते के नीचे जमीन खोखली हो गई। रात को अचानक भरभराकर मिट्टी खदान में गिर गई। उन्होंने बताया कि रात को रास्ता धंसने के कारण बड़ा हादसा टल गया। ग्रामीणों ने पहाड़ी में खनन और भारी ब्लॉस्टिंग पर रोक लगाने की मांग की।
नारी की पहाड़ी के पास से गुजर रहा रास्ता दर्जनभर से ज्यादा गांव-ढाणियों को जोड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि रात को हादसा हुआ, दिन में होता तो बड़ी जनहानी हो सकती थी। उन्होंने बताया कि इस रास्ते से नूनियां गोठड़ा, बृजलालपुरा, ओजटू, जोधा का बास, सुलताना, बारी का बास, मालुपुरा समेत अन्य गांव-ढाणियों का आवागमन रहता है। हालांकि ग्रामीणों से सुझबूझ दिखाते हुए रास्ते को दोनों तरफ से बंद कर दिया। रास्ता खुला रहता तो धूंध के कारण लोग गहरे गड्ढे में समा जाते।
नारी की पहाड़ी में लगातार खनन के कारण गहरे खदान बन चुके हैं। आम रास्ते के बगल में ही करीब डेढ़-दो सौ फीट गहरा खदान बना हुआ है। हालांकि सुरक्षा के तौर पर चारदीवारी का निर्माण किया गया था, जो कि रात को रास्ते के साथ ही खदान में समा गई। उधर, आवागमन को सुचारू रखने के लिए जेसीबी की मदद से दूसरा रास्ता बनाया गया।
Updated on:
02 Jan 2025 11:49 pm
Published on:
02 Jan 2025 11:48 pm
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