औसत हर दिन एक-दो ग्राहक आते हैं
झुंझुनूं शहर में एक नम्बर रोड पर रेडियो सुधारने वाले मैकेनिक मूलरूप से मुकुंदगढ़ के रहने वाले राजकुमार वर्मा ने बताया कि वह दसवीं तक की पढाई के बाद रोजगार की तलाश में असम चले गए। वहां रेडियो सुधारने की ट्रेनिंग ली। इसके बाद अतिरिक्त ट्रेनिंग सीकर में ली। इसके बाद झुंझुनूं में दस साल तक एक दुकान पर रेडियो सुधारने का कार्य किया। इसके बाद खुद की दुकान खोल ली। पंद्रह साल पहले तक हर दिन औसत दस से बीस ग्राहक रेडियो सुधरवाने के लिए आते थे। अब औसत एक-दो जने आते हैं। अभी भी रेडियो सुनने वाले खूब हैं। जब से एफएम शुरू हुआ है, तब से फिर से ग्राहक बढ़ गए हैं। कार में अधिकतर लोग एमएम रेडियो सुनना पसंद कर रहे हैं। वर्मा ने बताय, यू ट्यूब पर कितने ही वीडियो आ जाएं, लेकिन रेडियो की सुरीली आवाज का कोई मुकाबला नहीं है। रेडियो ने कभी अश्लीलता नहीं फैलाई। गलत जानकारी नहीं दी।
पहले थी बीस से ज्यादा दुकान
राजकुमार ने बताया, पहले अकेले झुंझुनूं शहर में रेडियो सुधारने वालों की दुकान बीस से ज्यादा थी। हर बड़े व छोटे कस्बे में रेडियो सुधारने वाले होते थे, अब झुंझुनूं में दो-तीन दुकान बची हैं।
विश्व रेडियो दिवस हर साल 13 फ़रवरी को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद रेडियो को बढ़ावा देना और लोगों को इसका इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसी दिन साल 1946 में संयुक्त राष्ट्र रेडियो की स्थापना हुई थी। साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इसकी घोषणा की थी। साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर अपनाया था।