
UPSC staff selection commission
नरेन्द्र मोदी सरकार अखिल भारतीय सेवाओं के लिए सर्विस और स्टेट कैडर आवंटन की ७० साल पुरानी व्यवस्था बदलने जा रही है। अब संघ लोक सेवा आयोग से चयन और फिर तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स की परीक्षा के अंकों के आधार पर तय होगा कि कौन आइएएस बनेगा और कौन आइपीएस। इसका असर 24 तरह की सभी अखिल भारतीय सेवाओं के प्रशिक्षुओं पर पड़ेगा। वर्तमान में यूपीएससी से चयन के साथ ही सर्विस(आइएएस/आइपीएस/ आइएफएस) और राज्य आवंटन हो जाता है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कार्मिक प्रशिक्षण मंत्रालय से सर्विस व कैडर आवंटन नियमों में बदलाव पर ७ दिन में राय मांगी है।
एलबीएस नेशनल अकादमी मंसूरी के सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसाओं को पढऩे के बाद मोदी अगस्त २०१७ में अकादमी में पहुंचे थे। उन्होंने वहां फाउंडेशन कोर्स का रिव्यू किया। इसमें पाया कि प्रशिक्षु अधिकारी इस कोर्स को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते। कई अफसर फेल होने के बाद फिर से कोर्स की लिखित परीक्षा देते हैं। इसके बाद उन्होंने सर्विस/कैडर के लिए फाउंडेशन कोर्स के नंबर जोडऩे का फार्मूला तैयार किया। हालांकि, डीओपीटी सूत्रों के अनुसार अभी प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, पर पीएमओ ने पत्र के जरिए ऐसा करने की मंशा जाहिर कर दी है। परीक्षण करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।
अब 600 नंबर की भी अहम भूमिका
आइएएस, आइपीएस, आइएफएस सहित सभी 24 अखिल भारतीय सेवाओं के चयनित अधिकारियों के लिए एक समान फाउंडेशन कोर्स होता है। इसमें 450 नंबर लिखित परीक्षा के होते हैं, जबकि 150 नंबर अकादमी संचालक के असेसमेंट के होते हैं। बदलाव के बाद मेरिट में फाउंडेशन कोर्स के ६०० नंबर की भूमिका भी होगी।
यूपीएससी में सर्विस का सिलेक्शन होने के बाद कैडर आवंटन होने से फाउंडेशन में प्रशिक्षु अपने स्टेट के लोगों से तालमेल बैठा लेते हैं जो काम आता है।
- के.एस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव
फाउंडेशन कोर्स से पहले यूपीएससी से चयन के समय ही सर्विस और कैडर आवंटन का फार्मूला बेहतर है। इससे विसंगतियां आएंगी।
- अरुण गुर्टू, पूर्व डीजीपी
Published on:
21 May 2018 09:43 am
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