सरकार ने 7 जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए कहा कि यह निर्णय क्वॉलिटी एजुकेशन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पिछली परीक्षा में 1 लाख 40 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन इस बार बहुत अधिक संख्या देखने को मिली है। 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थियों ने इस बार परीक्षा दी है इसलिए भी क्वॉलिफाइंग मार्क्स बढ़ाने पड़े। वरीयता पदों की संख्या के अनुरूप तैयार करने के लिए ऐसा करना पड़ा।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे शिक्षामित्र हैं और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो परीक्षाओं में 25 अंकों का वेटेज का आदेश दिया है। वर्ष 2018 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में सरकार द्वारा क्वॉलिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किए गए थे, जिसमें भी वे शामिल हो चुके हैं। इस बार उनके लिए सहायक शिक्षक पद पर भर्ती होने का अंतिम मौका है लिहाजा इसके क्वॉलिफाइंग अंक भी पिछली परीक्षा के अनुसार ही किए जाय। कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए पिछली बार के अनुरूप ही क्वालीफाइंग अंक लागू करने का आदेश दिया है।