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घुमंतू जातियों की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा भी समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया

- घुमंतू व अद्र्ध घुमंतू जनजातियों में करीब 840 जातियां शामिल

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जोधपुर

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Amit Dave

Jun 05, 2020

घुमंतू जातियों की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा भी समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया

घुमंतू जातियों की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा भी समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया

जोधपुर।
प्राचीन काल से ही राष्ट्र की लोक कला व लोक संस्कृति को संजोए रखने में विमुक्त घुमंतू व अद्र्ध घुमंतू जनजातियों अहम योगदान दे रही है। यह विडंबना है कि इन जनजातियों की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा भी समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया है। भारत की विमुक्त घुमंतू व अद्र्ध घुमंतू जनजातियों में करीब 840 जातियां शामिल है। देश की आज़ादी के बाद से अब तक विभिन्न समयों में इन समुदाय के लिए 8 आयोग बने है, जिन्होंने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से घुमंतू जनजातियों को पिछड़ेपन की सूची में डालने व सुरक्षित आरक्षण की सिफ ारिश की है। इस जनजाती समुदाय के लिए यूपीए सरकार द्वारा गठित बालकृष्ण रेनके आयोग व एनडीए सरकार द्वारा गठित दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट अभी तक ससंद में पेश नहीं की गई है। इस कारण इस समुदाय में निराशा और आक्रोश है


प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा
आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग को लेकर इन जनजाति समुदाय वर्ग की ओर से शुक्रवार से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। जोधपुर से सामाजिक कार्यकर्ता पूनाराम सांसी, अनिल, कमल, बसंती रायचंद ने शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
प्रमुख मांगें
- बालकृष्ण रेनके आयोग व दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से मानसून सत्र में संसद में रखकर लागू करना।
- सरकारी नौकरियों में विमुक्त घुमंतू व अद्र्ध घुमंतू जनजातियों के लिए 10 प्रतिशत सुरक्षित आरक्षण।
- कोरोना वायरस से तबाह हुई विमुक्त घुमंतू व अद्र्ध घुमंतू जनजातियों के लिए एक हजार करोड़ रुपए का विशेष आर्थिक पैकेज की मांग।