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जोधपुर हवाई अड्डा निर्माण के प्रथम चरण में खर्च हुए 739 रुपए तीन आने नौ पाई

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जोधपुर हवाई अड्डा निर्माण के प्रथम चरण में खर्च हुए 739 रुपए तीन आने नौ पाई

जोधपुर हवाई अड्डा निर्माण के प्रथम चरण में खर्च हुए 739 रुपए तीन आने नौ पाई

जोधपुर. जोधपुर के महाराजा उम्मेदसिंह के कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य जोधपुर में उड्डयन विभाग की स्थापना करना रहा। आरम्भ में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अन्तर्गत ऐरोड्रम और हवाई जहाज उतारन के लिए पट्टियों के निर्माण कार्य को प्रारम्भ किया गया। महाराजा उम्मेदसिंह ने भविष्य में हवाई जहाज की महत्ता को अपने प्रारम्भिक काल में ही पहचान लिया था , इसलिए सन 1924-25 में सर्वप्रथम जोधपुर हवाई अड्डा व उत्तरलाई हवाई अड्डे के निर्माण कार्य को प्रारम्भ करवाया।

जोधपुर हवाई अड्डे का निर्माण 1924-25 में शुरू किया गया जिसके प्रथम चरण में जमीन को समतल करने, झाडिय़ों की सफाई आदि तथा चौकीदार के निवास के लिए मात्र 739 रुपए तीन आने नौ पाई खर्च हुए। जबकि उत्तरलाई हवाई अड्डे के प्रारम्भिक निर्माण के प्रथम चरण में मात्र 1268 रुपए पांच आने छह पाई व्यय हुए थे। जोधपुर हवाई अड्डे का विस्तार धीरे - धीरे किया गया । वहां विमानशाला , पेट्रोल पम्प भवन , पुलिस गार्ड और भंडार गृह इत्यादि का निर्माण किया गया । वर्ष 1932-33 तक जोधपुर हवाई अड्डे पर एक लाख छतीस हजार आठ सौ तीस रुपए नौ आने खर्च हुए तथा उत्तरलाई में नौ हजार छह सौ दस रुपये पांच आने नौ पाई खर्च किए गए। तत्कालीन जोधपुर स्टेट में करीब सभी परगनों में हवाई पट्टी का निर्माण किया गया ताकि वहां हवाई जहाज उतर सकें तथा सम्पूर्ण मारवाड़ हवाई मार्ग से जुड़ सके। वर्ष 1931 में मेड़ता रोड , तिलवाडा , और गडरा रोड़ में हवाई पट्टियों के निर्माण के लिए एक हजार एक सौ रुपए प्रत्येक के लिये मंजूर किए गए। वर्ष 1933 तक मारवाड़ राज्य में पन्द्रह हवाई जहाज के उतरने वाले स्टेशनों का निर्माण किया गया।