
aiims jodhpur: बायपास सर्जरी के साथ दिमाग की खून की नस के 99 प्रतिशत ब्लॉकेज का ऑपरेशन
जोधपुर.
एम्स जोधपुर के कार्डियोथोरेसिक एवं वास्कुलर सर्जरी विभाग में ह्रदय की बायपास सर्जरी के साथ दिमाग में खून ले जाने वाली कैरोटिड आर्टरी में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन (कैरोटिड एंडारटेरेक्टॉमी) किया गया।कार्डियोथोरेसिक एवं वास्कुलर सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र पटेल ने बताया कि 62 वर्षीय मरीज पिछले 6 माह से सीने में दर्द एवं सांस फूलने की बीमारी से पीड़ित था। एंजियोग्राफी जांच में ह्रदय की तीनों मुख्य नसों में ब्लॉकेज का पता चला। ह्रदय की बायपास सर्जरी का निर्णय किया गया। जांचों में पता चला कि उसके दिमाग को खून का प्रवाह करने वाली कैरोटिड आर्टरी दायीं तरफ 99 प्रतिशत तक और बायीं तरफ 50 प्रतिशत तक ब्लॉक थी। दायीं नस में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज के कारण बायपास सर्जरी के दौरान मरीज को लकवा होने का खतरा था। मरीज के बायपास ऑपरेशन के साथ कैरोटिड आर्टरी में ब्लॉकेज निकालने का ऑपरेशन (कैरोटिड एंडारटेरेक्टॉमी) करने का निर्णय किया गया।
ऑपरेशन में पहले दायीं तरफ की कैरोटिड आर्टरी के ब्लॉकेज को निकाला गया। दिमाग की नस (कैरोटिड आर्टरी) को पैर की सिफ़ेनस वेन से पैच-रिपेयर किया गया। फिर ह्रदय की तीनों बंद नसों का बायपास ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज पूर्णतया स्वस्थ है। एम्स में ह्रदय की बायपास के साथ कैरोटिड एंडारटेरेक्टॉमी का यह पहला केस है। ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत फ्री हुआ।
इनका रहा सहयोग
कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉ अनुपम दास, डॉ आलोक कुमार शर्मा, डॉ मधुसूदन कट्टी, डॉ दानिश्वर मीणा, डॉ अनिरूद्ध माथुर व डॉ कुबेर शर्मा, एनेस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर विभाग के डॉ सादिक मोहम्मद, डॉ प्रदीप भाटिया,रेडियोलोजी विभाग के डॉ सर्बेश तिवारी,कार्डियक परफ्यूजनिस्ट कमलेश पंवार, देवेंद्र, पूजा, अनिता एवं सीजी मोल, कार्डियक ओटी नर्सिंग ऑफिसर अजित कुलश्रेष्ठ, स्वाति, ज्योति, गोमाराम, सुमित्रा, कानाराम, प्रियंका, नेहा, ज्योत्स्ना, संजय, कृष्णा व गूंजन का सहयोग रहा।
जानिए क्या है कैरोटिड आर्टरी एंडारटेरेक्टॉमी ऑपरेशन
कैरोटिड आर्टरी महाधमनी से निकलने वाली दो मुख्य धमनियां (गर्दन में दायीं एवं बायीं तरफ) होती हैं। जो हमारे मस्तिष्क और चेहरे को खून की सप्लाई करती है। कैरोटिड आर्टरी मे कॉलेस्ट्रॉल एवं वसा जमा होने से इसमें ब्लॉकेज हो जाता है। ये ब्लॉकेज कभी भी फट जाते हैं और खून का थक्का जमने से नस पूरी तरह से बंद हो जाती है। जिससे मस्तिष्क को खून की सप्लाई में अचानक भारी कमी होने के कारण मरीज को लकवा हो जाता है। इस ऑपरेशन में मरीज की कैरोटिड आर्टरी से पूरा ब्लॉकेज निकाल कर आर्टरी को रिपेयर किया जाता है। रिपेयर के लिए पांव की सिफ़ेनस वेन भी काम में ली जाती है। इसमें खून का थक्का, कोलेस्ट्रॉल प्लाक या हवा दिमाग में जाने से लकवा होने का खतरा रहता है । अन्य इलाज का तरीक़ा इस नस में छल्ला डाल कर अंदर से ही खोल देना भी है, लेकिन इस तरीक़े में कॉलेस्ट्रोल की जमावट को नहीं हटाया जाता है और उसे नस के अंदर ही छल्ले से दबा दिया जाता है।
Published on:
19 Jul 2022 05:53 pm
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