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Aiims Jodhpur: जिंदगी और मौत से जूझ रहे युवा की फटी महाधमनी का ऑपरेशन कर दिलाई निजात

न्यू अचीवमेंट एम्स जोधपुर : देश के सभी नए एम्स में जोधपुर ने किया सर्वप्रथम ऐसा ऑपरेशन

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Aiims Jodhpur: जिंदगी और मौत से जूझ रहे युवा की फटी महाधमनी का ऑपरेशन कर दिलाई निजात

Aiims Jodhpur: जिंदगी और मौत से जूझ रहे युवा की फटी महाधमनी का ऑपरेशन कर दिलाई निजात

जोधपुर. एम्स जोधपुर ने फिर नया कीर्तिमान रचते हुए जिंदगी और मौत से जूझ रहे एक युवा की फटी महाधमनी का ऑपरेशन कर जीवनदान दिया। कार्डियक सर्जरी विभाग ने जोधपुर व सभी नए एम्स में पहली बार अओर्टिक डिसेक्शन का ऑपरेशन करने में सफलता हासिल की है। हालांकि ये ऑपरेशन जयपुर व उदयपुर में ही होते हैं। मरीज का ऑपरेशन मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में मुफ्त किया गया। मरीज के लिए इतना महंगा ऑपरेशन करवा पाना संभव नहीं था। चिकित्सकों के अनुसार ये ऑपरेशन काफी बड़ा व महंगा होता है। इमरजेंसी में तुरंत ही करना पड़ता है, तभी ही बीमार की जान बच पाती है। करीब एक तिहाई बीमार इसके लक्षण शुरू होने के 24 घंटो में ऑपरेशन के अभाव में मर जाते है। एम्स जोधपुर के डायरेक्टर डॉ. सीडीएस कटोच, अधीक्षक डॉ महेंद्र कुमार गर्ग व उप निदेशक प्रशासन एनआर विश्नोई ने पूरी टीम को बधाई दीं।

ये थी युवा मरीज को तकलीफ34 वर्षीय मरीज जोधपुर से 70 किलोमीटर दूर रहता है। उससे सुबह अचानक छाती में दर्द हुआ, जो कि कुछ ही समय में पीठ में पीछे की तरफ भी होने लगा। उसके परिवार वाले बीमार को तुरंत जोधपुर लाए। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक सक्सेना ने इको करके अओर्टिक डिसेक्शन का पता लगा लिया व उसे एम्स की इमरजेंसी में भेज दिया। एम्स में सिटी स्कैन की जांच में भी निदान सही पाया गया।

ऑपरेशन में लगे दस घंटे

कार्डियक सर्जरी विभाग के अतिरिक्त आचार्य डॉ आलोक शर्मा ने अपनी टीम डॉ अनुपम दास, डॉ कुबेर शर्मा , डॉ सुरेंद्र पटेल , डॉ दानिश्वर मीणा, डॉ मधुसूदन कट्टी के साथ इस ऑपरेशन को दस घंटे में सफल अंजाम तक पहुंचा दिया। एनेस्थेसिया विभाग से डॉ सादिक मोहम्मद, डॉ दीपांशु व डॉ शिप्रा ने भाग लिया। नर्सिंग ऑफिसर मनरा राम , संजय भाटी, गोमा राम ने सहयोग किया। कमलेश पंवार के नेतृत्व में परफ्यूजन की टीम पूजा शर्मा , देवेंद्र, अनीता व सीजी ने भाग लिया।

जानिए क्या है अओर्टिक डिसेक्शन

यह बीमारी महा धमनी के सामान्यत जन्म से ही कमजोर बने होने की वजह से 20 से 40 वर्ष की उम्र में हो जाती है। इसमें महा धमनी के अंदर से ही फटकर एक परत ( डिसेक्शन) बन जाती है। इस वजह से शरीर के अंगो को जैसे की हार्ट, दिमाग, लीवर, किडनी, आंतो को खून की कमी हो जाती है। अंग काम करना बंद कर देते है। करीब 33 प्रतिशत बीमार 24 घंटो में व करीब 50 प्रतिशत बीमार शुरुआत के 48 घंटो में ऑपरेशन के अभाव या देरी की वजह से मर जाते है।