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आखिर पुलिस की कार्यशैली पर क्यों उठते हैं सवाल?

प्रसंगवश  

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आखिर पुलिस की कार्यशैली पर क्यों उठते हैं सवाल?

आखिर पुलिस की कार्यशैली पर क्यों उठते हैं सवाल?

एक सवाल सदैव अनुत्तरित रहता है कि क्या पुलिस आत्मदाह के प्रयास जैसे कदम उठाए जाने पर ही चेतेगी
पुलिस से फरियाद करने गए व्यक्ति की सुनवाई न होे, उल्टे उसे फटकार मिले और आहत होकर वह खुद को आग लगा ले तो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लाजमी हैं। कोटा में पिछले दिनों शिकायत दर्ज नहीं होने पर खफा व्यक्ति ने थाना परिसर में ही खुद पर पेट्रोल छिड़क लिया। छह दिन तक जीवन व मौत के बीच जूझते हुए आखिरकार उसने दिल्ली में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

समूचे घटनाक्रम में जो तथ्य सामने आए, उनके अनुसार कोटा का नयापुरा क्षेत्र का निवासी राधेश्याम अपनी शिकायत को लेकर लगातार पुलिस थाने के चक्कर लगा रहा था। उसका दोष इतना ही था कि पार्षद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। कोटा की इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। राधेश्याम नेे अपने क्षेत्र में बन रही सड़क में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उसने सत्ताधारी पार्टी के पार्षद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। रसूख के आगे पुलिस भी मौन हो जाती है। 15 सितंबर को कोटा के नयापुरा थाने में खुद पर पेट्रोल छिड़कने के बाद राधेश्याम को पहले जयपुर और फिर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।

जैसा कि ऐसे हर मामले में होता आया है। फरियादी की मौत के बाद पुलिस के आला अधिकारी हरकत में आए और एसएचओ भूपेन्द्र को लाइन हाजिर करने के साथ ही दो एएसआइ बच्चन चौधरी व सतीश कुमार मीणा को निलंबित कर दिया गया। समूचे विवाद से जुड़े पार्षद हरिओम सुमन की गिरफ्तारी तक हो गई। पर एक सवाल जो सदैव अनुत्तरित रहता है वह यह कि क्या सरकारें नयापुरा थाने जैसी घटना होने के बाद ही हरकत में आती है? क्या पुलिस का ऐसे ही रसूखदारों से साथ बना रहेगा? क्या पुलिस ऐसे ही आमजन के साथ नहीं, बल्कि रसूख के आगे घुटने टेकेगी? ये तमाम सवाल ऐसे उन सब घटनाक्रमों से जुड़े हैं जिनमें पुलिस की मनमानी सामने आती है। बड़ा सवाल यह भी है कि एफआइआर दर्ज करने की अनिवार्यता का ढोल पीटने वाली सरकार को आखिर यह पता क्यों नहीं लग पाता कि थानों में आमजन से बर्ताव वैसा नहीं हो रहा जैसा प्रचार किया जा रहा है। ऐेसे माहौल के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आखिर कौन करेगा? भ्रष्टाचार और रसूख के आगे बौने होते कायदों के लिए राजनेताओं और पुलिस के साथ अपराधी तत्वों का गठजोड़ ज्यादा जिम्मेदार है। (सं.पु.)