सीओपीडी फेफड़ों की गंभीर बीमारी है। अस्थमा से मिलते जुलते यह रोग अस्थमा से भी ज्यादा घातक है। इसमें सांस लेने में कठिनाई, खांसी, बलगम (थूक) का अधिक आना, घरघराहट जैसी दिक्कतें शामिल है। सीओपीडी मरीजों में हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
सीओपीडी दिवस हर साल 15 नवम्बर को मनाया जाता है। इस साल की थीम “सांस लेना ही जीवन है- पहले कार्य करें” रखी गई है। यह थीम फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व और उन तरीकों पर जोर देती है जिनसे सीओपीडी की रोकथाम और उपचार के दायरे को व्यापक बनाया जा सकता है।
1सांस लेने में कठिनाई
2.बढ़े हुए बलगम (पीला/हरा रंग) स्राव के साथ खांसी
3.ठंड लगने के साथ बुखार आना
4.थकान या कमजोरी
5.गला खराब होना
6.असामान्य सिरदर्द और नाक बंद होना
—————————–
केएन टीबी व चेस्ट हॉस्पीटल के 5 साल के डाटा
वर्ष ——– मरीज
2019 ——– 12345
2020 ——– 13663
2021 ——– 9543
2022 ——– 13422
2023 ——– 12089
(यह डाटा सीओपीडी, अस्थमा और ओएडी के है। वर्ष 2023 के डाटा अक्टूबर तक के हैं।)
– सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है लेकिन लक्षणों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
– धूम्रपान बंद करना। अधिकांश मामले सीधे सिगरेट पीने से संबंधित है।
– प्रदूषित हवा में जाने से बचना चाहिए।
– इन्फ्लूएंजा का टीकाकरण श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद करता है।
—————————————
डॉ सीआर चौधरी, अधीक्षक, कमला नेहरु टीबी एण्ड चेस्ट हॉस्पीटल जोधपुर