30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

माचिया किले में आजादी का अमृत महोत्सव आज

तिरंगा रैली के बाद स्वतंत्रता सैनानियों के परिजनों का होगा सम्मान

2 min read
Google source verification
माचिया किले में आजादी का अमृत महोत्सव आज

माचिया किले में आजादी का अमृत महोत्सव आज

जोधपुर .आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में राजस्थान पत्रिका व आध्यात्मिक क्षेत्र पर्यावरण संस्थान एवं वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ऐतिहासिक माचिया किले में जंगे आजादी के दौरान नजरबंद रहे सात स्वतंत्रता सैनानियों के परिजनों का सम्मान किया जाएगा। संस्थान के अध्यक्ष रामजी व्यास ने बताया कि ध्वजारोहण से पूर्व तिरंगा रैली निकाली जाएगी। ध्वजारोहण के बाद स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान समारोह का आयोजन होगा। समारोह में इस वर्ष का मंगल पांडे पुरस्कार महान क्रांतिकारी जैसलमेर के सागरमल गोपा , नेताजी सुभाषचंद्र बोस पुरस्कार स्वतंत्रता सैनानी हरिहर महाराज, चंद्रशेखर आजाद पुरस्कार स्वतंत्रता सैनानी अचलेश्वर मामा को दिया जाएगा। इसी तरह शहीद भगतसिंह पुरस्कार स्वतंत्रता सैनानी छगन चौपासनी वाला को, जयनारायण व्यास पुरस्कार गोरा देवी जोशी (बा) को, रामचंद्र बोडा स्वतंत्रता सैनानी पुरस्कार उमराव कौर जोशी को तथा जोरावरमल बोडा पुरस्कार स्वतंत्रता सैनानी सीताराम सोलंकी खटकेदार को प्रदान किया जाएगा। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राम गोयल माचिया किले में ध्वजारोहण करेंगे।

8 माह तक 31 स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया था नज़रबंद

माचिया किले में दिसम्बर 1942 से अगस्त 1943 तक करीब 8 माह तक 31 स्वतंत्रता सेनानियों को नजरबंद रखा गया था । महाराजा तख्तसिंह की ओर से जंगली सुअरों के शिकार के दौरान विश्राम गृह के रूप में बनवाया माचिया किला स्वतंत्रता सेनानियों के लिए यातनागाह बना दिया गया था । स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख सिपाहियों और उनके साथियों को कमजोर बनाने की नीति के तहत जोधपुर जेल से चुनिंदा लोगों को भयंकर यातना देने के मकसद से समूह के रूप में माचिया किला भिजवाना आरंभ किया था । तत्कालीन सरकार ने यह कदम राज बंदियों और उनके नेताओं की ओर से जेल में चलाए जा रहे आंदोलन से परेशान होकर उठाया था । किले के अंदर दो बड़े दालान की दीवारें आज भी जंगे आजादी के सिपाहियों का दर्द बयां करती है । आजादी के स्वर्ण जयंती वर्ष के दौरान 15 अप्रेल 1999 में तत्कालीन राज्य सरकार ने कीर्ति स्तंभ बनवाया । स्तंभ के दांए - बांए और पीछे की तरफ तीस लोगों के नाम उत्कीर्ण है , जिन्हें माचिया किले में सात माह तक बंदी रखा गया था ।