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हौसलों से अनुश्री ने लिखी सफलता की इबारत

एक हाथ की जलपरी ने पैरा तैराकी में राष्ट्रीय स्तर पर जीते 33 स्वर्ण पदक

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हौसलों से अनुश्री ने लिखी सफलता की इबारत

हौसलों से अनुश्री ने लिखी सफलता की इबारत

जयकुमार भाटी/जोधपुर. कहते है कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन राह भी आसान हो जाती हैं। फिर चाहे किसी तरह की बाधाएं आए, वे हौसलें को डिगा नहीं सकती। ऐसा ही हौसला दिखाया जोधपुर की पैरा तैराक अनुश्री मोदी ने। बचपन से ही एक हाथ से निशक्त होने के बाद भी उसके साथ माता-पिता ने भी हार नहीं मानी और उसे सफलता को अपना लक्ष्य बनाने के लिए प्रेरित करते रहें। जिसकी वजह से अनुश्री अब तक पैरा स्वीमिंग में राष्ट्रीय स्तर पर 33 स्वर्ण पदक व 15 रजत पदक जीत चुकी हैं।

तीन साल की उम्र में सीखी तैराकी
गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर से लॉ के चतुर्थ वर्ष में अध्ययन कर रही बीस वर्षीय अनुश्री महज तीन साल की उम्र से तैराकी कर रही हैं। अनुश्री वर्ष 2005 से मार्च 2021 तक राज्य व राष्ट्रीय स्तरीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में कुल 46 स्वर्ण पदक व 15 रजत पदक प्राप्त कर चुकी हैं। वहीं वर्ष 2017 में दुबई में आयोजित एशियन यूथ पैरा गेम्स में भाग लेते हुए अवार्ड सर्टिफिकेट प्राप्त किया। अनुश्री ने 50 मीटर व 100 मीटर के फ्रीस्टाइल, बैकस्ट्रोक, ब्रैस्टस्ट्रोक व बटरफ्लाई में शानदार प्रदर्शन करते हुए हमेशा स्वर्ण पदक जीता हैं। अनुश्री को शुरूआत के दौर में जितनी परेशानी नहीं हुई, उतनी परेशानी बड़े होने के बाद हुई।

उन्होंने बताया कि राजस्थान में पैरा तैराकों के लिए विशेष सुविधा नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। छोटी उम्र में उन्होंने सामान्य तैराकों के साथ कई पदक जीते। लेकिन बड़े होने पर पैरा तैराकों को सामान्य तैराकों के साथ प्रैक्टिस करने के दौरान सपोर्ट नहीं मिलने से समस्या का सामना करना पड़ता है, जिससे वे मेहनत करने के बाद भी हताश होते दिखाई देते हैं। लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने माता-पिता के बताए मार्ग को अपना लक्ष्य बनाकर सफलता हासिल की। मेरे पिता अशोक व माता अंजू के साथ बहन अंशिका ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। जिससे मैं अपने शहर व राज्य के साथ देश का नाम भी रोशन कर सकी।

अभ्यास के लिए सरकारी पूल का अभाव
अनुश्री ने बताया कि पैरा तैराकों के लिए सरकार की ओर से अलग से व्यवस्था नहीं होने से तैराकों को मैडल जीतने की तैयारी करने में मुश्किल होती हैं। जोधपुर में भी गौशाला मैदान व मेडिकल कॉलेज स्थित स्वीमिंग पूल अधिकतर बंद रहने से तैराकों को प्राइवेट पूल में अभ्यास करने को मजबूर होना पड़ता हैं। ऐसे में मेरे परिजनों ने मुझ पर विश्वास जताते हुए मेरे लिए प्राइवेट पूल की व्यवस्था करवाई, जिससे पदक जीतने में आसानी हुई। सरकार सामान्य तैराकों की तरह पैरा तैराकों के लिए भी विशेष कोच व पूल की सुविधा उपलब्ध करवाएं तो पैरा ओलम्पिक व कॉमनवेल्थ गेम्स में तैराकी में भी पदक आ सकते हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीतना लक्ष्य
अनुश्री ने बताया कि देश में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीतना उनका लक्ष्य हैं। इसके लिए भले ही रात-दिन मेहनत करनी पड़े। राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में पदक जीतने के लिए अनुश्री ने कोच पूनमसिंह कच्छवाह के मार्गदर्शन में खुद से तैयारी की। इसके लिए उन्हें किसी तरह की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली। अनुश्री के माता-पिता ने कहा कि खेलों में योग्यता रखने वाले पैरा खिलाडि़यों को सरकारी सुविधा मिले तो वे देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन कर सकते हैं।