
पश्चिमी सीमा पर जवानों से बात करते सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (फोटो- पत्रिका )
रेगिस्तान की तपती रेत पर देशभक्ति का जोश, साहस का परचम और सतर्कता की मिसाल, यही झलक देखने को मिली जब सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कोणार्क कोर के अग्रिम मोर्चे जैसलमेर के लौंगेवाला का दौरा किया। जनरल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत दुश्मन के इरादों को ध्वस्त करने वाली कार्रवाइयों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने जवानों से बात करके हौसला बढ़ाया।
जनरल द्विवेदी ने भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ समन्वित कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। उन्होंने सीमांत जवानों को शाबाश कहकर उनका हौसला बढ़ाया और कहा कि आपके साहस और सतर्कता ने दुश्मन के किसी भी दुस्साहस को हमारे दरवाज़े तक पहुंचने नहीं दिया।
दूसरी तरफ आर्मी की दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने जोधपुर स्थित कोणार्क कोर मुख्यालय का दौरा किया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई गतिविधियों पर डिटेल ऑपरेशनल ब्रीफिंग प्राप्त की। सेठ ने कमांडरों और जवानों के साथ बातचीत करते हुए उनकी धैर्यशीलता, रणनीतिक सजगता और सामूहिक समर्पण की खुलकर तारीफ की।
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राजस्थान के जैसलमेर से लेकर कच्छ तक फैले रेगिस्तानी क्षेत्र में सेना, वायुसेना और बीएसएफ ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन सिंदूर के तहत निगरानी उपकरणों, वायु रक्षा प्रणालियों और हथियार प्रणालियों की त्वरित और रणनीतिक तैनाती की। इसके परिणामस्वरूप दुश्मन की ड्रोन घुसपैठ को विफल किया गया और क्षेत्रीय वर्चस्व कायम रखा गया। इस पूरे अभियान के दौरान स्थानीय प्रशासन और रक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय देखने को मिला, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि देश की पश्चिमी सीमा हर खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है।
Published on:
19 May 2025 07:06 pm
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