
पहले ‘एच’ आकार वाले ओवरब्रिज को सेना की हरी झंडी
जोधपुर. शहर का पहला ‘एच’ आकार का ओवर ब्रिज (आरओबी) जल्द ही बनेगा। दो साल से अटके ओवर ब्रिज के निर्माण कार्य को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय इसके लिए 18 हजार 500 वर्ग मीटर भूमि जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) को लाइसेंस पर देगा। प्रति वर्ग मीटर के लिए जेडीए को रक्षा मंत्रालय को सालाना 1 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। आधारभूत संरचना विकास के लिए रक्षा भूमि देने का यह जोधपुर में पहला मामला है।
आरटीओ फाटक पर औसतन प्रति घण्टा रेलवे फाटक बंद रहने और जाम की समस्या के चलते जेडीए ने जुलाई 2018 में एच शेप के इस ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू किया। कालवी प्याऊ से लेकर सारण नगर तक रक्षा मंत्रालय की जमीन है। पुल का एक हिस्सा इस पर आना है। सेना ने आपत्ति जताकर मार्च 2019 में काम रुकवा दिया। जनवरी 2021 में जिला प्रशासन व जेडीए ने यह भूमि देने के लिए आवेदन किया। एक साल बाद हाल ही में 14 जनवरी को रक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी।
71 करोड़ का पुल, 7.50 करोड़ खर्च
-यह ओवर ब्रिज करीब 71 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा।
-अब तक इसका एक चौथाई हिस्सा बनकर तैयार हो चुका है।
- 7.50 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
-पुल की लम्बाई लगभग 800 मीटर व चौड़ाई 12.50 मीटर और सर्विस रोड 15 मीटर चौड़ी है।
-प्रोजेक्ट के लिए रेलवे द्वारा भी पुल की लागत साझा होगी।
-निर्माण कार्य वापस शुरू होने पर छह महीने में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
दिन में 15 बार से अधिक कतारें
यह ओवरब्रिज फाटक संख्या सी-168 पर बन रहा है। दिन में 15 बार से अधिक कतारें लगती हैं। रेलवे लाइन जोधपुर-जयपुर-दिल्ली और जोधपुर-बीकानेर रेलवे कोरिडोर का हिस्सा होने के कारण रेलवे ट्रैफिक भी अधिक रहता है। पुल बनने से दुर्घटनाओं से भी निजात मिलेगी। सर्वाधिक फायदा बीजेएस कॉलोनी के निवासियों को होगा।
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‘रक्षा मंत्रालय जेडीए को सालाना एक रुपया प्रति वर्ग मीटर के शुल्क पर जमीन लाइसेंस पर देगा। इसकी मंजूरी मिल गई है।’
-अभिनव सिंह, रक्षा सम्पदा अधिकारी, जोधपुर वृत्त
Published on:
20 Jan 2021 11:19 am
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