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कार खरीदते ही ठग सरगना तक पहुंच जाता मालिक का सम्पूर्ण डाटा

- कॉल सेंटर से कार ब्रेकडाउन होने पर सर्विस मुहैया करवाने के नाम पर ठगी का मामला

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कार खरीदते ही ठग सरगना तक पहुंच जाता मालिक का सम्पूर्ण डाटा

कार खरीदते ही ठग सरगना तक पहुंच जाता मालिक का सम्पूर्ण डाटा

जोधपुर।
कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर-2 में कॉल सेंटर से कार ब्रेक डाउन होने की स्थिति में क्रेन व मिस्त्री की सर्विस मुहैया कराने का झांसा देकर हजारों लोगों से धोखाधड़ी करने वाला सरगना अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है। उसकी गिरफ्तार के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि कार मालिकों का डाटा उस तक कैसे पहुंचता था। उधर, मौके से गिरफ्तार होने वाली आठ युवतियों व एक युवक को रविवार को जमानत पर छोड़ दिया गया।
जांच कर रहे बासनी थानाधिकारी जितेन्द्रसिंह ने बताया कि प्रकरण में कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड सेक्टर-2 निवासी मनीष लखारा गिरोह का सरगना है। जो कार्रवाई होने से पहले फरार हो गया था।उसकी धरपकड़ के लिए पुलिस ने उसके फ्लैट व अन्य ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन वो पकड़ में नहीं आ सका। जालोर जिले में भाद्रार्जुन थानान्तर्गत बाला हाल केबीएचबी सेक्टर-2 निवासी आदित्यसिंह, मूलत: नागौर में परबतसर के बड्डू हाल केबीएचबी निवासी हर्षिता पंवार, मूलत: बाड़मेर में उतरणी गांव हाल मधुबन हाउसिंग बोर्ड निवासी प्रियंका सैन, मूलत: खारी ढाणी हाल मधुबन हाउसिंग बोर्ड निवासी लक्ष्मी पंवार, सांगरिया फाटक के पास निवासी कुमकुम पुत्री राठौड़, केबीएचबी सेक्टर-4 निवासी दिव्यांशी कंवर, केबीएचबी सेक्टर-7 निवासी सिमी कौर, मधुबन हाउसिंग बोर्ड निवासी दिव्या पुत्री और मनीषा राजपुरोहित को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सभी को जमानत मुचलके पर छोड़ दिया गया।
कार्ड खरीदते ही सिम तोड़कर नष्ट करते
सरगना मनीष लखारा पिछले एक साल से अधिक समय से इंडियन ब्रेकडाउन सर्विस नामक कॉल सेंटर चला रहा है। कॉल सेंटर में काम करने वाली अधिकांश युवतियां निर्धन वर्ग की हैं। जिन्हें सुबह 9 से शाम 5.30 बजे तक काम करने के बदले 7-8 हजार रुपए मासिक दिए जाते थे। कार खरीदते ही मालिक के नम्बर हासिल होने पर कॉल सेंटर की युवतियां मोबाइल पर उनसे सम्पर्क करती थी। कार के कहीं पर भी खराब होने या ब्रेक डाउन होने पर तुरंत क्रेन व मैकेनिक उपलब्ध करवाने का झांसा देती थी। 35 सौ से चार हजार रुपए में कार्ड और आजीवन सदस्यता का झांसा दिया जाता था। कोई कार मालिक झांसे में आकर कार्ड मंगवाता तो उन्हें हेल्पलाइन नम्बर दिए जाते थे। जैसे ही ग्राहक तक कम्पनी की सदस्यता का कार्ड पहुंचता ठीक उसी समय सिम कार्ड तोड़कर नष्ट कर दिया जाता था। ताकि ग्राहक उन्हें कॉल न कर पाए।
सरगना बताएगा, कहां से मिलते हैं डाटा
फिलहाल पुलिस का मानना है कि कार डीलर अथवा परिवहन विभाग या फाइनेंस कम्पनी से कॉल सेंटर संचालक को कार खरीदने वाले मालिकों का पूरा डाटा मिलता है। जिसमें नाम व पता के साथ मोबाइल नम्बर भी होता है। एक कार डीलर का कहना है कि डीलर कभी भी अपने कस्टमर की जानकारी दूसरे से शेयर नहीं करते हैं। गिरोह सरगना के पकड़ में आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि कार मालिकों का डाटा कहां से लीक होता है।
प्रत्येक कार डीलर के एक-एक हजार कस्टमर से सम्पर्क
पुलिस को मौके से अब तक कार मालिकों का जो डाटा मिला है वो अधिकांशत: उड़ीसा व गुजरात के हैं। कॉल सेंटर की युवतियों ने जोधपुर व आस-पास के ग्राहकों को भी सदस्यता लेने के लिए कॉल किए थे। डीलर्स का मानना है कि कॉल सेंटर से शहर के प्रत्येक डीलर के कम से कम एक-एक हजार से अधिक ग्राहकों को कॉल किए गए थे।


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