
राजस्थान हाईकोर्ट ने कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकवादी इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) से जुड़े दो आरोपियों की जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए हैं। याचिकाकर्ता मोहम्मद अमर यासीर तथा मोहम्मद मारूफ की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र पेश किए गए थे, जो कि पिछले नौ साल से विस्फोटक पदार्थ अधिनियम तथा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत जोधपुर के प्रतापनगर पुलिस थाने में दर्ज मामले में न्यायिक हिरासत में है। न्यायाधीश कुलदीप माथुर की एकल पीठ में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत याचिकाकर्ताओं को फंसाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई प्रथम दृष्टया सामग्री उपलब्ध नहीं है।
याचिकाकर्ता के खिलाफ विशेष आरोप यह है कि उसने वर्ष 2013 में दूसरे याचिकाकर्ता मोहम्मद मारूफ के साथ एक प्रतिबंधित आतंकवादी इंडियन मुजाहिदीन की गतिविधियों के संबंध में जोधपुर के मंडोर गार्डन में आयोजित एक बैठक में भाग लिया था और वह राजस्थान में आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने की साजिश रचने में शामिल था। ऐसे तथ्य केवल जांच एजेंसी के पूछताछ नोट में सामने आए हैं, जो अन्यथा स्वीकार्य नहीं है। दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि याची को केवल उसके और सह-आरोपियों के बीच के कुछ चैट संदेशों के आधार पर फंसाया गया है, जबकि ये याचिकाकर्ता को किसी भी अपराध से जोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
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अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने न केवल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए आयोजित गुप्त बैठकों में भाग लिया था, बल्कि वित्तीय सहायता भी प्रदान की थी। याचिकाकर्ताओं ने दूसरे लोगों को भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाया था। एक याचिकाकर्ता मोहम्मद मारूफ पाकिस्तान में स्थित आतंकवादियों इकबाल भटकल और रियाज भटकल के साथ लगातार संपर्क में था। एकल पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों सहित एफआईआर, आरोप पत्रों का अवलोकन करने के बाद प्रथम दृष्टया यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप एक प्रतिबंधित संगठन की ओर से आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने का है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अन्य आरोप दूसरों को न केवल एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का सदस्य बनने के लिए उकसाने का है, बल्कि राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में आतंकवादी समूह के सदस्यों के रूप में सक्रिय रूप से भाग लेने का भी है। कथित अपराध में याचिकाकर्ताओं की भागीदारी को दर्शाने वाले जांच एजेंसी के पास मोबाइल फोन, चैट, वीडियो आदि के रूप में मौखिक, दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध हैं। पीठ ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए।
Published on:
03 Nov 2023 10:23 am
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