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न्यायिक अधिकारियों के ग्रीष्मावकाश पर रोक, सिविल न्यायालय कैलेंडर के अनुसार होगा कार्य

कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों के ग्रीष्मावकाश के उपभोग पर रोक लगा दी है। घोषित राजपत्रित अवकाश, रविवार, द्वितीय एवं चतुर्थ शनिवार के अवकाश के अलावा 1 से 28 जून तक समस्त अधीनस्थ अदालतें खुलेंगी और सिविल न्यायालय कैलेंडर के अनुसार कार्य करेंगी।

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Ban on summer vacation of judicial officers of rajasthan highcourt

न्यायिक अधिकारियों के ग्रीष्मावकाश पर रोक, सिविल न्यायालय कैलेंडर के अनुसार होगा कार्य

जोधपुर. कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों के ग्रीष्मावकाश के उपभोग पर रोक लगा दी है। घोषित राजपत्रित अवकाश, रविवार, द्वितीय एवं चतुर्थ शनिवार के अवकाश के अलावा 1 से 28 जून तक समस्त अधीनस्थ अदालतें खुलेंगी और सिविल न्यायालय कैलेंडर के अनुसार कार्य करेंगी।

रजिस्ट्रार (प्रशासन) ने फुल कोर्ट में पारित प्रस्ताव के अनुसरण में इस संबंध में परिपत्र जारी किया है, जिसके अनुसार किसी भी न्यायिक अधिकारी का ग्रीष्मावकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा। सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को कहा गया है कि उनके क्षेत्राधिकार में आवश्यक प्रकृति के दीवानी कार्य कर रहे न्यायालयों को जून माह के दौरान सुनवाई एवं निस्तारण के लिए समुचित फौजदारी कार्य जैसे अपील, रिवीजन तथा अंतिम बहस के प्रक्रम में रखे गए मामलों को अंतरित किया जाए, ताकि उनका निस्तारण हो सके।

सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट तथा वरिष्ठ अधिकारिता वाले न्यायालय से प्राप्त निर्देशों के प्रकरण इस समयावधि में अंतरित नहीं किए जा सकेंगे। जिला न्यायाधीशों को 11 जुलाई तक जून माह के दौरान अंतरित किए गए प्रकरणों के निस्तारण का ब्यौरा भेजने को कहा गया है।

आर्थिक मदद के लिए वकील 31 मई तक आवेदन कर सकेंगे
बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की कार्यकारिणी समिति की बैठक मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सैयद शाहिद हसन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। समिति ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पारित संशोधित नियमों का विचार विमर्श के बाद अनुमोदन किया।

बार कौंसिल द्वारा हाल ही में दो करोड़ रुपए की एकमुश्त राशि राजस्थान के जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायतार्थ प्रदान करने के लिए स्वीकृत की गई है। इसके लिए संबंधित बार एसोसिएशन के माध्यम से आवेदन पत्र मंगवाने का निर्णय लिया गया। इसकी अंतिम तिथि 31 मई, 2020 होगी। इस तरह पूर्व में स्वीकृत एक करोड़ रुपए की राशि सहित कुल तीन करोड़ रुपए की राशि आर्थिक सहायता के रूप में जरूरतमंद अधिवक्ताओं को प्रदान की जाएगी ।