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Bank Account Freeze: राजस्थान के इस नगर निगम के बैंक खाते फ्रीज होने की आई नौबत, जाने क्या है वजह

Bank Account Freeze: सीएम गहलोत के गृहनगर नगर निगम दक्षिण का मामला कोर्ट ने मिली अंतरिम राहत

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Bank Account Freeze: राजस्थान के इस नगर निगम के बैंक खाते फ्रीज होने की आई नौबत, जाने क्या है वजह

Bank Account Freeze: राजस्थान के इस नगर निगम के बैंक खाते फ्रीज होने की आई नौबत, जाने क्या है वजह

Bank Account Freeze: जोधपुर. भविष्य निधि विभाग की बकाया राशि जमा नहीं करवाने पर नगर निगम (दक्षिण) के बैंक खाते के फ्रीज होने की नौबत आ गई है। निगम ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जहां उसे फिलहाल तीन सप्ताह के भीतर एक करोड़ पचास लाख रुपए की राशि जमा करवाने की शर्त पर अंतरिम राहत मिली है। निगम के दो भाग होने के कारण वित्तीय देनदारियों का मसला अटका हुआ है, जिसके लिए गठित कमेटी को चार सप्ताह में निर्णय लेना होगा। इसके अभाव में कोर्ट का अंतरिम आदेश प्रभावी नहीं रहेगा।

नगर निगम (दक्षिण) के आयुक्त ने क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त-द्वितीय के 13 अप्रेल के आदेश को चुनौती दी है। न्यायाधीश रेखा बोराणा की अवकाश कालीन पीठ में निगम की ओर से अधिवक्ता डाॅ. हरीश पुरोहित तथा सुनील पुरोहित ने कहा कि भविष्य निधि आयुक्त ने निगम दक्षिण को तीस करोड़ सत्रह लाख तथा दो करोड़ अड़तालीस लाख रुपए जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चेताया है कि यह राशि 15 दिनों की अवधि के भीतर जमा नहीं करने पर उसे कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के अनुसार वसूला जाएगा।

उन्होंने कहा कि संपूर्ण राशि जमा नहीं करवाने पर भविष्य निधि आयुक्त ने 20 जून को दो आदेश जारी किए हैं, जिनमें एचडीएफसी बैंक और केनरा बैंक को देय राशि का भुगतान करने और याचिकाकर्ता नगर निगम के बैंक खातों को फ्रीज करने का निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती 13 अप्रेल के आदेश के अनुसरण में चार करोड़ 99 लाख रुपए की राशि जमा करवा दी गई है। नगर निगम के दो भाग किए गए हैं। ऐसे में संपूर्ण दायित्व निगम दक्षिण पर नहीं थोपा जा सकता।

देनदारियां तय करने को समिति
नगर निगम के विभाजन के समय दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार यह निर्णय लिया गया था कि निगम के दोनों नए कार्यालयों की वित्तीय देनदारियों को तय करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, लेकिन अब तक वित्तीय देनदारियों के बंटवारे का प्रकरण निर्णित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अब कमेटी की बैठक दो सप्ताह की अवधि के भीतर आहूत की जाएगी और वित्तीय दायित्व के बारे में अंतिम निर्णय चार सप्ताह में लिया जाएगा।

याचिकाकर्ता कमेटी के निर्णय का पालन करने के लिए बाध्य होगा। कोर्ट ने 13 अप्रेल और 20 जून के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि निगम तीन सप्ताह की अवधि में एक करोड़ पचास लाख रुपए की राशि और जमा करवाएगा। यदि चार सप्ताह की अवधि में कमेटी की बैठक में निर्णय नहीं लिया गया तो स्थगन आदेश प्रभाव में नहीं रहेगा।