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जोधपुर में रिश्वत लेते पकड़ में आने से बचे अधिकारी फिर यूं धरे गए, एफआईआर दर्ज

आरोप है कि उसे टैक्स जमा करने के लिए कथित रूप से डराया व धमकाया गया।

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जोधपुर . जमीन बेचान के बाद आयकर जमा करने के लिए नोटिस जारी करने व फिर डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के हिसाब से तीन लाख रुपए रिश्वत मांगने पर आयकर के एक निरीक्षक और अधिवक्ता (सीए) के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में मामला दर्ज किया गया है। ब्यूरो की कार्रवाई की भनक लगने से आरोपी गत माह रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ में आने से बच गए थे, लेकिन सत्यापन में रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर अब दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधीक्षक (ब्यूरो) अजयपाल लाम्बा के अनुसार प्रकरण में आयकर अधिकारी (आईटीओ) ओमप्रकाश श्रीमाली व अधिवक्ता महेश गहलोत के खिलाफ रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

यह है मामला

पाल में गोगामंड का बास निवासी रमेश कुमार जाट के पिता हनुमानराम ने ७ सितम्बर २००९ को पाल में ६६ लाख रुपए में जमीन का बेचान किया था। आयकर विभाग ने मालिक को टैक्स संबंधी नोटिस जारी किया गया था। आरोप है कि उसे टैक्स जमा करने के लिए कथित रूप से डराया व धमकाया गया। उसने टैक्स जमा करने के लिए अधिवक्ता को चार-साढ़े चार लाख रुपए दिए, लेकिन उसे बदले में कोई रसीद नहीं दी गई। आरोप है कि आयकर अधिकारी ओमप्रकाश व वकील खुद के लिए १.५०-१.५० लाख रुपए की मांग की गई। इसकी शिकायत उसने ब्यूरो से की। गोपनीय सत्यापन करवाए जाने पर रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई थी।


एसीबी कार्रवाई की भनक लगी तो बच निकले

एसीबी का कहना है कि पीडि़त रमेश कुमार ने गत माह ब्यूरो की शहर चौकी में रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी। सत्यापन में पुष्टि भी हो गई थी, लेकिन संभवत: दोनों को एसीबी कार्रवाई का आभास हो गया तो कार्रवाई सफल नहीं हो पाई थी।


पत्नी के खाते से क्लाइंट का टैक्स जमा कराया था : अधिवक्ता

अधिवक्ता महेश गहलोत का कहना है कि जमीन बेचान पर तीस-पैंतीस लाख रुपए टैक्स निकल रहा था। काफी प्रयास के बाद ३ जुलाई २०१४ को ८४०८० रुपए टैक्स पर फैसला हुआ था। इतनी ही पेनल्टी भी अलग से थी, लेकिन उनके पास यह राशि भी नहीं थी। हनुमान व रमेश के आग्रह पर अधिवक्ता ने पत्नी के खाते से ४० हजार रुपए इंटरनेट बैंकिंग के मार्फत हनुमान का आयकर जमा कराया था। यह राशि वसूलने के लिए पत्नी की तरफ से नोटिस भी भेजा था। आयकर विभाग का भी सवा लाख रुपए से अधिक टैक्स बकाया है।