आरोपियों की ओर से यह भी कहा गया कि अनुसंधान जारी रहने के दौरान 11 जनवरी 2012 को ही सीबीआइ व पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरस्कृत कर दिया गया। जबकि एफबीआइ जांच की रिपोर्ट तब तक नहीं आई थी। आरोप पत्र भी 29 फरवरी 2012 को पेश किया गया।
जोधपुर की एससी एसटी कोर्ट में सीबीआइ के प्रार्थना पत्र पेश करने पर लम्बी बहस चली। कोर्ट ने शनिवार को इस मामले में समयाभाव के कारण सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी। सीबीआइ अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ की डीएनए रिपोर्ट के आधार पर राजीव गांधी नहर में मिले हड्डियों के टुकड़े भंवरी के होने का तथ्य साबित करना चाहती है।
कार्यवाही संदेहपूर्ण
इसके विपरीत आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोडा, जगमालसिंह तथा नीलकमल बोहरा ने प्रार्थना पत्र का विरोध किया। मलखानसिंह विश्नोई के अधिवक्ता हेमंत नाहटा ने एफबीआइ की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि हड्डी बरामदगी से लेकर रिपोर्ट प्राप्त होने तक प्रत्येक स्तर पर कार्यवाही संदेहपूर्ण है। उनका कहना था फर्जी बरामदगी को अंजाम देने के लिए सीबीआइ निदेशक स्वयं जोधपुर आए तथा 10 जनवरी 2012 से 2 फरवरी 2012 तक भारत में ही जाँच करवाने का दिखावा किया गया। 7 फरवरी 2012 को सामग्री परीक्षण के लिए एफबीआइ को भेजी दी गई।
इंद्रा विश्नोई सहित 9 आरोपी को न्यायालय में पेश
बचाव पक्ष ने एक दस्तावेज पेश कर बताया कि सीबीआइ तथा एफबीआइ की दिल्ली में मीटिंग तो 11 जनवरी 2012 को ही हो चुकी थी। समय अभाव के कारण बहस पूरी नहीं हो पाई। सुनवाई के दौरान पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच इंद्रा विश्नोई सहित 9 आरोपी को न्यायालय में पेश किया।