
भंवरी देवी हत्याकांड
भंवरी देवी हत्याकांड राजस्थान ही नहीं पूरे देश और दुनिया का ध्यान भी अपनी ओर खींचा था। वहीं इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड की सुनवाई अभी भी अधीनस्थ न्यायालय में जारी है। जबकि अब इस मामले में भंवरी देवी के बच्चों ने न्यायालय में याचिका दायर की है। जिससे मामले ने एक और मोड़ ले लिया है। भंवरी देवी के बेटे और बेटियों ने कोर्ट में गुहार लगाते हुए दायर याचिका में लिखा है कि जहां सरकार भंवरी देवी को मृतक मान कर कोर्ट में केस चला रही है, वहीं दूसरी ओर अभी तक उनकी मां का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ है।
याचिका में बच्चों ने कहा है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव के कारण परिवार को परिलाभ से वंछित रहना पड़ रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक, मामले में हाईकोर्ट के एडवोकेट खिलेरी ने कहा है कि भंवरी देवी को मृतक मानकर सितम्बर 2011 में हत्या का केस दर्ज किया गया था। तो वहीं राजस्थान सरकार के चिकित्सा विभाग ने भंवरी देवी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति छः वर्ष पहले दे दी, लेकिन भंवरी देवी के सेवा निवृति परिलाभ ग्रेच्युटी, पारिवारिक पेंशन, राज्य बीमा का भुगतान मृत्यु प्रमाण पत्र के अभाव में नहीं दिया गया।
जिला कलेक्टर को दिया हुआ आवेदन-
भंवरी देवी के पुत्र ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पहले जोधपुर जिला कलेक्टर को आवेदन किया था। जिसके बाद जिला कलेक्टर ने आवेदन को विकास अधिकारी को आगे कि कार्यवाही के लिए भेज दिया। फिर उसके बाद विकास अधिकारी ने प्रमाण पत्र आवेदन में एक साल से ज्यादा समय निकल जाने का कारण याचिकागण को तहसीलदार के पास भेज दिया। जहां तहसीलदार ने जांच कर पाया कि भंवरी देवी के अंतिम संस्कार के पुख्ता सबूत नहीं होने से मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने से मना कर दिया था।
इस केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरूण भंसाली ने चिकित्सा सचिव, संयुक्त निदेशक पेंशन विभाग, सीएमएचओ जोधपुर और तहसीलदार पीपाड को नोटिस जारी किया है। साथ ही तीन सप्ताह में जबाव मांगा है।
Updated on:
10 Feb 2018 08:27 pm
Published on:
10 Feb 2018 08:20 pm
बड़ी खबरें
View Allजोधपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
