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देश के विभाजन के बाद कराची से आकर राजस्थान के इस शहर में 29 दिन रुके थे आडवाणी, जानिए क्यों

देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकरण के लिए नामित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वयोवृद्ध नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश में दूसरा लौह पुरुष कहा गया है

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एम.आई. जाहिर
आज के भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी जोधपुर भारत विभाजन के बाद कराची से आ कर 29 दिन जोधपुर में रहे थे। वे तब जालप मोहल्ले स्थित तत्कालीन प्रांतीय जनसंघ कार्यालय में भी रहे थे। आडवाणी ने अपने जन्म दिन पर उनसे नई दिल्ली में मिलने और बधाई देने गए बालोतरा भाजपा जिला संगठन प्रभारी राजेंद्र बोराणा और भाजपा नेता सुनील मूंदड़ा को यह बात बताई।

आडवाणी को आज भी याद हैं जोधपुर की गलियां

आडवाणी ने उन्हें बताया कि वे जोधपुर की गलियों विशेषकर सोनारों की घाटी को आज भी याद करते हैं। उस समय उन पर संघ की जिम्मेदारी नहीं थी। आडवाणी और पीतानी दोनों कराची से जोधपुर आए थे। कालांतर में पीतानी जोधपुर में बस गए और आडवाणी जोधपुर से चले गए। उन्होंने बताया कि एलएलबी पीतानी वीकली लॉ नोटस लिखने लग गए। पीतानी का परिवार आज भी जोधपुर में रहता है। इस मौके पर आडवाणी ने बताया कि जोधपुर से जुड़े उनके मन स्मृति में बहुत सारे संस्मरण हैं। जोधपुर की भाषा जोधपुर के संस्कार और जोधपुर की परंपराएं अनूठी हैं।


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साथ काम करने का खूब मौका मिला
भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलने की घोषणा से मैं बहुत खुश हूं। उनके साथ रहने और काम करने का खूब मौका मिला है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सन 1983 में जोधपुर में आयोजित बैठक में उन्हें लाने ले जाने और सर्किट हाउस ठहराना मेरे जिम्मे था। तब मैं नगर परिषद सदस्य था। रथ यात्रा के समय राजस्थान में प्रवेश करने पर उनका आबू रोड में स्वागत किया था। वहीं अयोध्या में सन 1992 में भी हम मिले थे। वहीं उप प्रधानमंत्री बनने पर सन 2003 में आयोजित स्वदेशी मेले में उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया था।
मेघराज लोहिया, पूर्व अध्यक्ष राजसीको, जोधपुर

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