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जब भूत ने मांगी थी माफी, राजस्थान की इस भूतों की बावड़ी की है अजब-गजब कहानी

Bhoot Bawdi Ransi Gaon: राजस्थान के जोधपुर जिले के रणसीगांव स्थित भूतों की बावड़ी की लंबे समय से देखरेख के अभाव में जर्जर होने लगी है। ग्रामीणों के अनुसार इस बावड़ी के पानी से रणसीगांव गांव के बाशिंदे अपनी प्यास बुझाते थे।

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Bhoot Bawdi Ransi Gaon: राजस्थान के जोधपुर जिले के रणसीगांव स्थित भूतों की बावड़ी की लंबे समय से देखरेख के अभाव में जर्जर होने लगी है। ग्रामीणों के अनुसार इस बावड़ी के पानी से रणसीगांव गांव के बाशिंदे अपनी प्यास बुझाते थे। इतना ही नहीं सैकड़ों बीघा भूभाग पर सिंचाई का माध्यम रही। इस बावड़ी की ओर ध्यान नहीं देने से बावड़ी सूख गई। यहां बने 16 पोल जर्जर होने की हालत में है। किंवदंतियों के अनुसार इस बावड़ी को एक भूत ने बनवाया था।

16 पोल 1700 सीढ़ियां
ग्रामीण बताते हैं कि तत्कालीन जयसिंह चिरढाणी ने गांव के निकट नाड़ी के पास एक भूत के साथ मल्लयुद्ध जीतकर उसे वंचनों में बांधकर इस बावड़ी के साथ अपने लिए महल बनवाया। लेकिन भूत व ठाकुर के बीच हुए बोल वचन टूट जाने से बावड़ी का एक हिस्सा व दो मंजिल महल का कार्य अधूरा रह गया। जो आज भी वैसा ही है। लाल घाटू के पत्थर पर अद्भुत कलाकृतियां उकेर कर 16 पोल के साथ बनी यह बावड़ी देखते ही बनती है। दो सौ फीट से अधिक गहरी इस बावड़ी के आखिरी पोल तक पहुंचने के लिए 1700 सीढ़ियां उतरना पड़ता है।

एक आदमी आया और बोला वह भूत है
तत्कालीन ठाकुर रहे जयसिंह की 14वीं पीढ़ी के कुंवर सवाईसिंह बताते हैं कि जयसिंह दरबानों के साथ रणसीगांव गांव आने के दौरान देर शाम हो चुकी थी और अन्य साथी आगे निकल चुके थे। चिरढाणी गांव के लटियाली नाडी के पास वे पानी पीकर रवाना हुए कि एक आदमी आया और बोला कि वह भूत है जो सरोवर के निकट नहीं जा सकता। जयसिंह ने उसे पानी पिलाया, उसने कहा कि आपके पास शराब है, ऐसे में जयसिंह ने उसे शराब के साथ खाने की सामग्री दी। जिसे खाने के बाद भूत ने जयसिंह को मल्लयुद्ध करने की चुनौती दी।

भेद किसी को नहीं बताएंगे
जयसिंह ने चुनौती स्वीकार करते हुए उसे पछाड़ दिया। इस पर भूत ने माफी मांगते हुए कहा कि आप जो कहे वो करुंगा। जयसिंह ने मीठे पानी की बावड़ी तथा अपने लिए दो खंडो का महल बनाने के लिए कहा। लेकिन भूत ने शर्त रखी कि इस भेद को किसी को नहीं बताएंगे। निर्माण शुरू हो गया और इतना तेज से हो रहा था कि गांव के लोग आश्चर्यचकित रह गए। जयसिंह की पत्नी ने इस रहस्य को जानने के लिए अन्न-जल तक त्याग कर दिया था। अंत में जयसिंह की पत्नी के कमजोर हो जाने पर उसने पूरी बात बता दी और उसी रात से महल और बावड़ी का कार्य रूक गया। इस बावड़ी की एक दीवार अभी भी अधूरी है।