
विदेशी बाजारों में आज भी बरकरार है बिलाड़ा के कपास की मांग
बिलाड़ा (जोधपुर) अब सूत नगरी के रूप में पहचान पाने लगा है तथा यहां कि कपास मंडी केवल मारवाड़ भर में ही नहीं बल्कि कई प्रदेशों के व्यापारियों को कपास की गांठे सप्लाई करने लगी है।
भारतीय कपास निगम भी यहां के व्यापारियों के मार्फत कपास खरीद गांठे बंधवाने लगा है जो, चीन, कोरिया, जापान, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश तक पहुंच रही है। बिलाड़ा मंडी में पाली, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर जिलों के अतिरिक्त रणसीगांव, बोरून्दा, भोपालगढ़, आसोप, मेड़ता क्षेत्र का कपास काफी मात्रा में आ रहा है।
लगने लगी प्रे्रंसिग मशीनें
मंडी में ज्यो-ज्यों कपास की आवक बढ़ी तो जिनींग फैक्ट्रियों की संख्या में भी इजाफा होने लगा। कुछ वर्षों पहले तक पाली की महाराजा मिल, ब्यावर, बिजयनगर, गुलाबपुरा और भीलवाड़ा की मिलों तक कपास बोरों में भर कर जाता था, लेकिन अब मध्यप्रदेश , कांडला पोर्ट, चीन बांग्लादेश तक कपास की मांग बरकरार है।
ऐसे बढ़ी किसानों की रुचि
जब से किसानों की बी.टी. किस्म की कपास की पैदावार में रुचि बढ़ी है तब से यहां कपास की आवक बढऩे लगी, इस दौरान बोरून्दा, आसोप, भोपालगढ़ व आसपास के क्षेत्रों में भी कपास के व्यापारी बढ़े। इससे जिनिंग फैक्ट्रियां बढऩे के साथ ही बिलाड़ा में कपास की गांठें बांधने का काम शुरू हुआ। यहां कि उन्नत किस्म की बी.टी. कपास को पंजाब के व्यापारी पसंद करने लगे है तथा खरीद कर अन्य देशों में निर्यात कर रहे है।
कपास कारोबार से जुड़े व्यापारियों की मानें तो इन दिनों 1800 से 3000 हजार क्विंटल कपास की आवक हो रही है। सीजन के दौरान प्रतिदिन कपास की 500 गांठें तैयार की जाती है। जो एक गांठ में 155 से 160 किलो कपास बंधती है।
इन्होंने कहा
गांठों की पेकिंग पाली, भीलवाड़ा, ब्यावर के व्यापारियों को पसंद आई तो हमारी फर्म ने ये प्रेसिंग मशीनें बढ़ा दी। हमारे यहां रोज करीब कपास की 70 गांठें बांधी जाती है।
मदनसिंह राठौड़, जिनिंग एवं प्रेसिंग कम्पनी संचालक, बिलाड़ा।
Published on:
21 Oct 2019 10:56 am
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