
बिलाड़ा : कथा पंडाल में मनाया शिवरात्रि महोत्सव
जोधपुर/बिलाड़ा. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से बिलाड़ा के मोती सिंह स्टेडियम में आयोजित शिव कथामृत के दौरान आशुतोष महाराज के शिष्य डॉ. सर्वेश्वर ने समुद्र मंथन प्रसंग का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि जब समुद्र मंथन से हलाहल कालकूट विष निकला तो जगत के कल्याण के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान कर उसे अपने कण्ठ में धारण कर लिया, जिसके कारण उनका एक नाम नीलकण्ठ भी पड़ गया। इस अवसर पर कथा पंडाल में शिवरात्रि महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें भक्तों ने भक्तिगीतों पर नृत्य करते हुए झूम उठे।
कथा का मर्म समझाते हुए डॉ. सर्वेश्वर ने बताया कि शिव का नीलकण्ठ स्वरूप हमें त्याग व सहनशीलता का गुण अपने जीवन में धारण करने की प्रेरणा देता है। भगवान नीलकण्ठ के भक्त होने के नाते हमारा भी ये कतर्व्य है कि हम भी विषपान करना सीखें। अर्थात निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर जगत के कल्याण में अपना योगदान दें। ‘मैं’ से ‘हम’ तक का सफर तय करें। आज मानव अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की पीठ में छुरा घोंपते हुए भी संकोच नहीं करता। इन्सान तो क्या, हमने तो बेज़ुबान पशु पक्षियों को भी नहीं छोड़ा।
उन्होंने कहा जीभ के क्षणिक स्वाद के लिए आज रोज़ाना हज़ारों जीव काट दिए जाते हैं। यूं तो हम महादेव के भक्त हैं परंतु शायद हम ये भूल जाते हैं कि महादेव का एक नाम पशुपतिनाथ भी है। अर्थात जो पशुओं के स्वामी हैं। स्वयं ही सोचिएं पशुओं की हत्या कर क्या हम अपने पशुपतिनाथ को प्रसन्न कर पाएंगे? इसलिए आवश्यकता है प्रभु के सच्चे भक्त का कतर्व्य निभाने की। परपीड़ा को समझ अपने क्षुद्र स्वार्थों का परित्याग करने की। ये तब ही सम्भव है जब ब्रह्मज्ञान के माध्यम से हम नीलकण्ठ का दर्शन अपने घट में प्राप्त करेंगे। कथा में दीवान माधोसिंह, जतीबाबा, महेंद्र,धन्नाराम लालावत अध्यक्ष परगना समिति, जुगल किशोर संघ संचालक बिलाड़ा मौजूद रहे। कथा का समापन प्रभु की आरती से किया गया।
Published on:
19 Feb 2024 09:28 pm
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