
सदियों से पिता का हाथ बंटाने में बेटों का ही योगदान माना जाता रहा है। पीढ़ी दर पीढ़ी पारम्परिक व्यवसाय को भी बेटों ने ही आगे बढ़ाया है। समाज बेटियों से बेटे की तरह योगदान की अपेक्षा नहीं रखता लेकिन शहर की बेटियों ने इस परम्परा ओर परिपाटी को पूरी तरह बदलना शुरू कर दिया है।

महापौर घनश्याम ओझा अपनी पोती मैत्री ओझा के साथ।

निगम अधिकारी एसई संपत मेघवाल अपनी बेटी सरला मेघवाल के साथ।

उपवन संरक्षण कार्यालय के नरेंद्रङ्क्षसह शेखावत अपनी बेटी खुशी शेखावत।

नंदिनी ट्यूशन सेंटर की दुर्गेशनंदिनी अपने बेटी अंजली के साथ।

पुरोहित ज्योतिष व वास्तु अनुसंधान केंद्र के राजेंद्र पुरोहित अपनी बेटियों मोनिका व मुमुक्षा के साथ।

ई मित्र सर्विस के अमित गहलोत अपनी बेटी वंशिका गहलोत के साथ।

व्यास पॉवर सोल्यूशन के हेमंत व्यास अपनी बेटी आकांक्षा व्यास के साथ।

श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस के बृजेश जोशी अपनी बेटियां क्वेता व वृंदा के साथ।

क्लासिक एडवरटाइजिंग के तेजसिंह गहलोत अपने बेटी प्रियंका गहलोत के साथ।

जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के इंजीनियर अजय व्यास अपनी बेटियों गरिमा व नंदिनी के साथ।

जैन ट्रेवल्स के जितेंद्र जैन अपनी बेटी रिद्धम जैन के साथ।

टीबी क्लिनिक आरएनटीसीपी के सुरेंद्र कल्ला अपनी बेटी राजश्री कल्ला के साथ।

निगम अभियंता शाखा के कपच ओम पुरोहित अपनी बेटी टीना पुरोहित के साथ।

बनाड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ रामकिशोर विश्नोई अपनी बेटी रिषिका विश्नोई के साथ।