जोधपुर.
गर्भाशय कैंसर के बाद पिछले कुछ सालों से विश्वभर में breast cancer का खतरा बढ़ रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत के शहरों में रहने वाली महिलाओं में यह रोग कम है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की स्थिति इस मामले में बेहतर कही जा सकती है।
दिल्ली के ब्रेस्ट कैंसर विशेषज्ञ डॉ. वीएस. पंत ने रविवार को उम्मेद अस्पताल में इनर व्हील क्लब की ओर से ब्रेस्ट व गर्भाशाय कैंसर पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर जगह अलग स्थिति के कारण ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है। डब्ल्यूएचओ की 2018 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अब ब्रेस्ट कैंसर के केस बढ़ रहे है। इससे पहले गर्भाशय कैंसर का प्रभाव ज्यादा था। समय पर इलाज शुरू करवाया जाए तो दोनों कैंसर से निजात मिल सकती है। लेकिन ब्रेस्ट की बीमारी के पहले स्टेज पर ही मरीज को चेत जाना चाहिए और ब्रेस्ट में गांठ होते ही तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। 40 साल की उम्र के बाद हर महिला को साल में एक बार मेमोग्राफी भी जरूर करानी चाहिए, ताकि इस तरह की संभावना हो तो इलाज लिया जा सके।
उम्मेद अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई ने अपने प्रजेंटेशन में बताया कि गर्भाशय कैंसर की शुरूआत इंफेंक्शन से होती है। शारीरिक संबंध स्थापित करने वाली लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं में यह इंफेक्शन होता है। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, उनका इंफेक्शन स्वत: ठीक हो जाता है, लेकिन मधुमेह, ब्लड प्रेशर या अन्य बीमारी के कारण अधिकतर महिलाओं में यह बीमारी बढ़ जाती है। समय पर इलाज शुरू नहीं करवाने पर 15 साल में इंफेक्शन ही कैंसर का रूप बन जाता है। इसलिए डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार शारीरिक संबंध स्थापित करने वाली हर 40 साल की उम्र में एक बार गर्भाशय की जांच जरूर करानी चाहिए। ताकि पहली स्टेज में ही यदि ऐसी कोई बीमारी हो तो उसका इलाज करवा कर ठीक किया जा सकता है। कार्यशाला में डॉ. रेणु मकवाना सहित अन्य चिकित्सकों ने भी अपने अनुभव शेयर किए।
कैंसर का खतरा
-विदेशों में 8 में से एक
– दिल्ली में 25 में से एक
-जोधपुर में 40 में से एक
– गांवों में 70 में से एक