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देशभर में यहां की गाजर खाने की बढ़ी मांग, आपने भी मंगवाई!

गाजर किसानों के लिए आर्थिक सम्बल का आधार बन चुकी है।

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GOKUL CHOUDHARY/जोधपुर/मथानिया

मथानिया कृषि क्षेत्र में इन दिनों गाजर फसल की उपज आनी शुरू हो गई है। बाजार में गाजर के भाव ठीक मिलने लगे है। ऐसे में गाजर किसानों के लिए आर्थिक सम्बल का आधार बन चुकी है। मथानिया कृषि क्षेत्र के रीनिया, नेवरा गांव, नेवरा रोड, किरमसरिया, गोपासरिया, बिगमी, बड़ला बासनी, केरलानगर, खुडियाला, इत्यादि गांवों में इस वर्ष सैकड़ों हैक्टेयर भूमि पर अगेती गाजर पनप गई। ये अगेती गाजर अब पकने पर बाजार में आ गई है। नेवरा के प्रगतिशील कृषक श्रवण जाखड़ ने बताया कि इन दिनों नेवरा रोड से प्रतिदिन ५-८ ट्रक गाजर बिकने को जाती है।

लाल सूर्ख, लम्बी, पतली, स्वाद में मीठी इस क्षेत्र की गाजर की मांग देश के प्रमुख मण्डियों में मथानिया की गाजर के नाम से विशेष पहचान बना चुकी है। सर्दी चमकने के साथ ही पुणे, मुम्बई, अहमदाबाद, कोलकाता, उड़ीसा, दिल्ली, सूरत इत्यादि शहरों की प्रमुख मण्डियो में यहा की गाजर की अच्छी मांग रहती है। जिसके चलते किसानों को इन दिनो गाजर के भाव भी ठीक मिल रहे हैं। वर्तमान में २३ से २७ रुपए प्रतिकिलो गाजर के भाव चल रहे है। ऐसे में अगेती गाजर पैदावार किसानों के लिए इन दिनों गाजर आर्थिक मजबूती का आधार बन गई है। क्षेत्र के गांवों में इन दिनों किसान परिवार गाजर की खुदाई, कटाई, मशीन से धुलाई, ग्रेडिंग व पैकिंग करके देर रात्रि तक ट्रकों में लोडिंग करने में जुटे हैं।

इस वर्ष मौसम की प्रतिकूलता के चलते गाजर की फसल पर्याप्त नही पनप पाई है। ऐसे में पैदावार गत वर्ष की अपेक्षा आधी रह गई है। मथानिया में गाजर मण्डी नहीं होने किसानों को गाजर के पूरे दाम नहीं मिल रहे है। भावों के निर्धारण में किसान दलालों व व्यापारियों के चंगुल में फंसे हैं। देश की प्रमुख गाजर मण्डियों को यहां के दलालों व व्यापारियों ने हाइजेक कर ली है। फिर भी गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष गाजर की अधिक मांग के चलते किसानों को गाजर के भाव अच्छे मिल रहे है।

इनका कहना है


मथानिया में गाजर मण्डी नहीं होने से किसान गाजर बेचने को लेकर परेशान हैं। यहां पर गाजर कंटेनर व खुली बोली से गाजर ब्रिकी की सुविधा होनी चाहिए।

-विनोद डागा, अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ मथानिया-तिंवरी