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खुद के लिए कपड़े खरीदने के लिए गुल्लक में रुपए जमा किए, अब जरूरतमंदों के लिए खरीदेंगे खाद्यान सामग्री

. पापा-मम्मी से ली पॉकेट मनी से कुछ रुपए बचा-बचा कर उन्हें गुल्लक में एकत्रित किया। दोनों भाई-बहन ने सोचा खुद के लिए अच्छी डे्रस ओर क्रिकेट किट खरीदेंगे। लेकिन कोरोना के चलते वर्तमान में शहर की जो स्थिति है। उसे देख दोनों भाई-बहनों ने अपने ख्वाबों को किनारे कर गुल्लक तोड़े ओर उससे निकले छह हजार रुपए से अधिक राशि से अब खाद्यान सामग्री खरीदेंगे।

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children are helping in donating funds for relief to needful people

खुद के लिए कपड़े खरीदने के लिए गुल्लक में रुपए जमा किए, अब जरूरतमंदों के लिए खरीदेंगे खाद्यान सामग्री

जोधपुर. पापा-मम्मी से ली पॉकेट मनी से कुछ रुपए बचा-बचा कर उन्हें गुल्लक में एकत्रित किया। दोनों भाई-बहन ने सोचा खुद के लिए अच्छी डे्रस ओर क्रिकेट किट खरीदेंगे। लेकिन कोरोना के चलते वर्तमान में शहर की जो स्थिति है। उसे देख दोनों भाई-बहनों ने अपने ख्वाबों को किनारे कर गुल्लक तोड़े ओर उससे निकले छह हजार रुपए से अधिक राशि से अब खाद्यान सामग्री खरीदेंगे। जिससे कि उनके क्षेत्र में ही रहने वाले जरुरतमंद परिवार तक दो वक्त का भोजन पहुंचा सके।

हम बात कर रहे है शहर के रातानाडा क्षेत्र के कृष्ण मंदिर में रहने वाले हरीशपुरी गोस्वामी की पुत्री रेणु व पुत्र हेमंत की। दोनों भाई-बहन पिछले करीब एक वर्ष से अपने गुल्लक में पॉकेट मनी से बचाकर रुपए एकत्रित कर रहे है। रातानाडा क्षेत्र में ही सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने वाले कुछ परिवारों की स्थिति से दोनों भाई-बहन वाकिफ थे। दोनों ने सोचा क्यों न गुल्लक फोड़कर इससे जो राशि निकले उससे हम खाद्यान सामग्री (आटा, दाल, तेल, मसाले आदि) खरीदे और उन जरुरतमंद परिवारों तक पहुंचाएं।

जिससे उनके घर में ज्यादा नहीं तो कुछ दिनों तक ही सही अपने कारण चूल्हा तो जले। यह सोच दोनों भाई-बहन ने मंगलवार को अपने गुल्लक फोड़े जिससे में छह हजार पांच सौ 52 रुपए निकले। इस राशि से दोनों पापा की मदद से खाद्यान सामग्री खरीद जरुरतमंदों तक पहुंचाएंगे।

मेरी सेविंग बहुत कम लेकिन इसका उपयोग कर मन को सुकून मिलेगा
रेणू ओर हेमंत ने बताया कि उनके गुल्लक की राशि बहुत कम है लेकिन ऐसे समय में इन रुपयों का इससे अच्छा सद्पयोग नहीं हो सकता। यह सोचकर दोनों ने गुल्लक तोड़े है। कपड़े किया है वो तो हम कभी और भी खरीद लेंगे। लेकिन हमारी बचत की राशि से किसी को दो दिन के लिए ही सही दो वक्त का भोजन मिल सकेगा। इससे ज्यादा और खुशी होगी।