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कोरोना के संक्रमण ने फीके कर दिए जोधपुरी साफों के रंग, एक हजार परिवारों पर छाया रोजगार का संकट

मारवाड़ में हर खुशी और गम में पहने जाने वाले 'साफों' के रंग को कोरोना के संक्रमण ने फीका कर दिया है। मारवाड़ सहित देश-विदेश में धूम मचाने वाले साफा निर्माता सावों के सीजन के बावजूद किसी भी तरह की डिमांड नहीं होने से संकट में है।

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coronavirus lockdown badly affected jodhpuri safa business

कोरोना के संक्रमण ने फीके कर दिए जोधपुरी साफों के रंग, एक हजार परिवारों पर छाया रोजगार का संकट

नंदकिशोर सारस्वत/जोधपुर. मारवाड़ में हर खुशी और गम में पहने जाने वाले 'साफों' के रंग को कोरोना के संक्रमण ने फीका कर दिया है। मारवाड़ सहित देश-विदेश में धूम मचाने वाले साफा निर्माता सावों के सीजन के बावजूद किसी भी तरह की डिमांड नहीं होने से संकट में है। पचरंगी, सतरंगी, गजशाही, बनारसी, सिल्क, कॉटन और मल्टी कलर फ्लावर, बारीक बंधेज सहित 500 से अधिक वैरायटी के साफों से जुड़ी होलसेलर, रिटेल व्यवसायी, कारीगर, साफा बांधने वाले सहित प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष से जुड़े हजारों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

लॉक डाउन में विवाह समारोह के अलावा सभी तरह के सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम और फिल्मों तथा टीवी धारावाहिकों की शूटिंग बंद रहने का साफा व्यवसाय पर गहरा असर पड़ा है। साफा व्यवसायी अरविन्दसिंह भाटी ने बताया कि पिछले दो दशकों में लुप्त होती साफा पहनने की परम्परा पुनर्जीवित होने से हजारों लोगों को साफा व्यवसाय से रोजगार मिलने लगा था। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना ने साफा व्यवसाय पर मानो ब्रेक लगा दिए है।

जोधपुर में करीब एक हजार से अधिक परिवार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से साफा व्यवसाय से जुड़े है। साफा व्यवसायी डॉ. अशोक ने बताया कि देश भर में अब दीपावली के बाद शुरू होने वाले वैवाहिक सीजन पर साफा व्यवसायियों की उम्मीद टिकी है। ऐसे में साफा व्यवसाय से जुड़े लोगों के समक्ष हालात सामन्य होने तक रोजगार का संकट बरकरार रहेगा।