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जोधपुर

कोर्ट ने आसाराम के फैसले से साधा अपराधियों पर निशाना, कहा अपराधों पर लगेगी लगाम

कड़े रुख से लगेगी अपराधों पर लगामआसाराम फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 110 फैसलों को जिक्र

जोधपुरApr 27, 2018 / 11:29 am

Deenbandhu vashistha

कोर्ट ने आसाराम के फैसले से साधा अपराधियों पर निशाना, कहा अपराधों पर लगेगी लगाम

कोर्ट ने आसाराम के फैसले से साधा अपराधियों पर निशाना, कहा अपराधों पर लगेगी लगाम

856 पेज के 229 दस्तावेजी साक्ष्य का संदर्भ
इतनी कड़ी सजा क्यूं, इसका भी विश्लेषण फैसले में

जोधपुर . आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई गई, यह कड़ी सजा क्यूं दी गई। इसका फैसले में जिक्र किया गया है। आसाराम को 453 पेज के फैसले में 8 अगस्त 2013 को छिंदवाड़ा आश्रम से पीडि़ता के माता-पिता को किए गए फोन से लगाकर अंतिम सुनवाई तक के हर तथ्य का समावेश किया है। इस फैसले में कुल 856 पेज के 229 दस्तावेजी साक्ष्य का संदर्भ देते हुए हर एक पहलू का विस्तार से विवरण दिया गया है। फैसले में अभियोजन के सभी 44 गवाहों के पूरे बयान दर्ज हैं। बचाव पक्ष की ओर से पेश किए गए 31 गवाहों के बयान भी फैसले में सम्मिलित किए गए हंै। इस ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय के 110 से अधिक फैसलो के जिक्र है, जो इस फैसले को ओर अधिक पुख्ता करते हैं। कुल 471 बिंदुओं में दिए गए फैसले में बचाव पक्ष के तथ्यों का भी विस्तार से विश्लेषण किया गया है। आसाराम सही क्यूं नहीं है, इसको भी विस्तार से बताया गया है। अभियोजन द्वारा पेश किए गए साक्ष्य और गवाहों के बयान न्यायाधीश को क्यों सच लगे, यह भी बताया है। आसाराम, शरद, शिल्पी के आरोपों के बारे में विस्तार से लिखा गया है और शिवा और प्रकाश को बरी करने के कारणों की भी विवेचना की गई है। आसाराम को इतनी कठोर क्यों सजा दी जा रही है इस बारे में भी फैसले में विस्तार से बताया गया है।
इसलिए कड़ा फैसला
– फैसले में स्पष्ट किया गया है कि भारतीय दंड संहिता में यौन अपराधों पर दी गई सजा बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 से अपेक्षाकृत अधिक कठोरता के प्रावधान है, इसलिए अभियुक्त आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धाराओं के अंतर्गत सजा दी गई है।
इन सभी सवालों का जवाब है – कड़ा फैसला

– बड़ा सवाल यह है कि न्यायालय के इस ऐतिहसिक फैसले का समाज पर क्या असर पड़ेगा?
– फैसले के बाद क्या अध्यात्म और धर्म के नाम पर अपना काम धन्धा चलाने वाले सबक लेंगे
– क्या कोर्ट के इस कड़े रुख से नाबालिगों के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगेगी?
– क्या आस्था के नाम पर ऐसे कथित साधुओं के हाथों लोग छले जाने से बच सकेंगे?

– क्या इस फैसले को उदाहरण के तौर पर लिया जा सकेगा?

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