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indira gandhi canal : लोगों को नहीं मंगवाना पड़ेगा पानी का टैंकर

नहरबंदी के दौरान पिछली बार मुख्य नहर के क्षतिग्रस्त हो जाने से अचानक से गहराए पेयजल संकट से सामना करना पड़ा और इसी कारण इस बार दीपावली के बाद से ही हर दसवें दिन शटडाउन लेकर यदि कोई संकट उत्पन्न हो तो सामना करने के लिए पानी बचाया।

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indira gandhi canal : लोगों को नहीं मंगवाना पड़ेगा पानी का टैंकर

indira gandhi canal : लोगों को नहीं मंगवाना पड़ेगा पानी का टैंकर

जलदाय विभाग : लोगों को नहीं मंगवाना पड़ेगा पानी का टैंकर

पीएचईडी के अधिशासी अभियंता प्रकाश बाफना से हनुमान गालवा की बातचीत
वाल :नहरबंदी के दौरान शहर में पेयजल संकट कैसे झेलेंगे?
बाफना : नहरबंदी के दौरान पिछली बार मुख्य नहर के क्षतिग्रस्त हो जाने से अचानक से गहराए पेयजल संकट से सामना करना पड़ा और इसी कारण इस बार दीपावली के बाद से ही हर दसवें दिन शटडाउन लेकर यदि कोई संकट उत्पन्न हो तो सामना करने के लिए पानी बचाया। शहर के तीन जल संग्रहण कायलना, तख्तसागर और सुरपुरा बांध लगभग 95 प्रतिशत भर गए हैं। नहरबंदी शुरू होने से पहले सभी जलाशय पूर्ण भर जाएंगे। विभाग के स्तर पर तैयारियां पूरी है। प्रयास है कि इस बार शहरवासियों को किसी रूप में पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़े...पीने के पानी के लिए किसी को वाटर टैंकर नहीं मंगवाना पड़े।

सवाल : पेयजल संकट की आशंका से पानी का स्टॉक करने की मनोवृत्ति से निजात कैसे मिलेगा?
बाफना : पानी ही नहीं, किसी भी चीज की किल्लत की आशंका से भंडारण का लालच बढ़ जाता है। इसके लिए तो आम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। पानी की उपलब्धता है, लेकिन इसका सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए आम लोगों की सहयोग और आम लोगों में पानी को लेकर जागरूकता जरूरी है। कहीं भी वाटर लीकेज अथवा अपव्यय दिखे तो सूचना कंट्रोल रूम में देनी चाहिए। कहीं कोई पानी को व्यर्थ बहाते या दुरुपयोग करते दिखाई दे तो उसे टोकना चाहिए...समझाना चाहिए। हमें चेतेंगे, तभी जल बचा पाएंगे। और जल है तो ही जीवन है।
सवाल : जल प्रबंधन को लेकर क्या कहेंगे?
बाफना : किसी भी संकट से पार पाने के लिए बेहतर प्रबंधन जरूरी है। मुख्य अभियंता नीरज माथुर के नेतृत्व में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने तो संभावित पेयजल संकट को देखते हुए बेहतर जल प्रबंधन करके जल संचय कर लिया है। अब आम लोगों को भी अपने घर में भी बेहतर जल प्रबंधन का प्रयास करना चाहिए, ताकि पानी का सदुपयोग सुनिश्चित किया जा सके। हमें सोचना चाहिए कि हम पानी व्यर्थ बहाएंगे, उससे कई कंठों की प्यास बुझाई जा सकती है।साथ ही निवेदन है कि पीने के स्वच्छ पानी का दुरुपयोग व्यावसायिक अथवा औद्योगिक कार्यों के लिए नहीं करें।